खुलासा : डीएलएड की डिग्री के लिए स्कूलों में आयी शिक्षकों की बाढ़
मुकेश तिवारी @रमकंडा (गढ़वा) प्राइमरी स्कूल के अनट्रेंडटीचर्स कोट्रेंडकरने के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू की गयी ट्रेनिंग में गड़बड़ी का मामला सामने आया है. शिक्षा विभाग के कर्मचारी की मिलीभगत से फर्जी शिक्षकों को ट्रेंड शिक्षक का दर्जा दिलाने का खेल चल रहा है. पूरा मामला तब प्रकाश में आया, जब पिछले सप्ताह बीइइओ […]
मुकेश तिवारी @रमकंडा (गढ़वा)
प्राइमरी स्कूल के अनट्रेंडटीचर्स कोट्रेंडकरने के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू की गयी ट्रेनिंग में गड़बड़ी का मामला सामने आया है. शिक्षा विभाग के कर्मचारी की मिलीभगत से फर्जी शिक्षकों को ट्रेंड शिक्षक का दर्जा दिलाने का खेल चल रहा है. पूरा मामला तब प्रकाश में आया, जब पिछले सप्ताह बीइइओ चंदेश्वर प्रसाद ने इस मामले की जांच की.
गढ़वा जिला के सुदूरवर्ती क्षेत्र रमकंडा में प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी ने कुछ विद्यालयों के निरीक्षण में पाया कि कई ऐसे शिक्षक द नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपेन स्कूलिंग (NIOS) के माध्यम से डीएलएड का प्रशिक्षण ले रहे हैं, जिनका स्कूल में कोई रिकॉर्ड ही नहीं है. इसके बाद प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी ने ऐसे कुछ स्कूलों को चिह्नित कर उसके खिलाफ कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है.
बताया जाता है कि जैसे ही एनआइओएस के जरिये डीएलएड की शुरुआत हुई, बड़ी संख्या में ऐसे लोग शिक्षक के रूप में स्कूलों में शामिल कर लिये गये, जिनका शिक्षण कार्य से पहले दूर-दूर का कोई नाता नहीं था. या कहें कि जिस स्कूल के नाम पर उन्होंने डीएलएड में नामांकन कराया है, उस स्कूल से उनका कोई वास्ता नहीं रहा.
बताया जाता है किप्रखंडकेएकशिक्षाकर्मी ने अपने कई रिश्तेदारों को डीएलएड की डिग्री दिलाने के लिए स्कूलों पर दबाव बनाया कि उन्हें अपने यहां का शिक्षक बतायें. शिक्षाकर्मी के इस दबाव का स्कूलों के प्रबंधन ने भी खूब फायदा उठाया. डीएलएड में नामांकन के इच्छुक टीचर्स से उन्होंने मोटी रकम वसूल की.
ज्ञातहो कि वर्ष 2017 में सरकार ने सरकारी व निजी विद्यालयों के अप्रशिक्षित शिक्षकों का एनओआइएस द्वारा संचालित डीएलएड प्रशिक्षण करानेकी पहल की. जैसे ही इस पर अमल हुआ, बड़े पैमाने पर कुछ विद्यालयों में दर्जन भर शिक्षकोंके नाम जोड़ दियेगये. ये ऐसे शिक्षक हैं, जो कभी स्कूल में बच्चों को पढ़ाने नहीं जाते. घर बैठे डीएलएड का प्रशिक्षण ले रहे हैं.
डीएलएड का लाभ लेने वाले ये फर्जी शिक्षक जिला मुख्यालय गढ़वा, भंडरिया प्रखंड और अन्य प्रखंडों के रहने वाले हैं. बताया जा रहा है कि पैसा लेकर शिक्षकों का नाम विद्यालयों में जोड़े जाने में प्रखंड के एक शिक्षाकर्मी की अहम भूमिका है.
शिक्षाकर्मी की कमाई की लालच में विद्यालयोंकाशिक्षक-छात्र अनुपात गड़बड़ा गया. ऊपरटोला स्थित एक निजी स्कूल में करीब 200 बच्चे पढ़ते हैं. इस स्कूल में 11 शिक्षकहोगये हैं. ऐसी ही स्थिति कई अन्य स्कूलों में भी है. कथित तौर पर कई स्कूलों ने इस अनुपात को पाटने के लिए कुछ फर्जी छात्रों का भी नामांकन कर लिया है.
दस्तावेज तैयार करने में जुटा विद्यालय प्रबंधन
बीइइओ की जांच में फर्जी शिक्षकों से संबंधित मामला सामने आने के बाद विद्यालय प्रबंधन फर्जी शिक्षकों का रिकॉर्ड तैयार करने में जुट गया है. इसमें उनकी नियुक्ति का आधार, वर्ष, मानदेय भुगतान सहित अन्य बिंदुओं पर रिकॉर्ड तैयार किया जा रहा है. जांच का असर यह हुआ कि कुछ टीचर स्कूल भी आने लगे हैं.
इधर, बीइइओ श्री प्रसाद ने कहा कि निजी विद्यालयों में नियुक्त फर्जी शिक्षकों की सघन जांच की जायेगी. जांच के बाद फर्जी शिक्षकों को चिह्नित कर उन्हें तो हटाया ही जायेगा, वैसे निजी विद्यालयों पर भी कार्रवाई की जायेगी, जिन्होंने यह फर्जीवाड़ा किया है.