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छह माह भी नहीं चल सका दुग्ध शीतक केंद्र

गढ़वा : गढ़वा जिले के उपभोक्ताओं को सस्ते व गुणवत्तायुक्त दूध उपलब्ध कराने को लेकर गव्य विकास विभाग द्वारा शहर के सोनपुरवा में 2000 लीटर क्षमता वाले दुग्ध शीतक केंद्र की स्थापना 26 मार्च 1991 को तत्कालीन उपायुक्त अमिता पॉल ने की थी. इस केंद्र की स्थापना का उद्देश्य ग्रामीणों को कृषि के साथ-साथ डेयरी […]

गढ़वा : गढ़वा जिले के उपभोक्ताओं को सस्ते व गुणवत्तायुक्त दूध उपलब्ध कराने को लेकर गव्य विकास विभाग द्वारा शहर के सोनपुरवा में 2000 लीटर क्षमता वाले दुग्ध शीतक केंद्र की स्थापना 26 मार्च 1991 को तत्कालीन उपायुक्त अमिता पॉल ने की थी. इस केंद्र की स्थापना का उद्देश्य ग्रामीणों को कृषि के साथ-साथ डेयरी के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराने तथा उपभोक्ताओं को गुणवतायुक्त कम दर पर दूध उपलब्ध कराने का था.

क्या था उद्देश्य : इस केंद्र के खोलने का उद्देश्य यह था कि आसपास के पशुपालकों से दूध खरीद कर इसे केंद्र में पेस्टोराइज व पैकिंग कर बाजार में ग्राहकों के लिए कम दर व अच्छी गुणवत्ता के साथ उतारना था. इससे ग्राहकों को सहजता से दूध उपलब्ध हो जाती और पशुपालकों को उनके दूध के अच्छे दाम मिलते. लेकिन शीघ्र ही यह योजना दम तोड़ने लगी.

छह माह में ही बंद हुआ केंद्र : बताया जाता है कि इस केंद्र के खुलने के छह माह बंद ही यह दम तोड़ गया. इसकी वजह यह थी कि पशुपालकों द्वारा लिये गये दूध को बगैर पेस्टोराइज व पैकिंग के बाजार में उतारा जाने लगा. साथ ही गुणवत्ता में कमी भी एक बड़ी वजह बनी. और इसमें कार्यरत कर्मियों द्वारा घपले के कारण केंद्र बंद हो गया. इस पर न तो अधिकारियों का नियंत्रण रहा, न ही सरकार ने ध्यान दिया.

लाखों की मशीन बेकार : केंद्र में लगायी गयी लाखों रुपये की पेस्टोराइज मशीन, मिल्क चीलर, पैकेजिंग मशीन, स्टोरेज बैंक तथा जेनरेटर अब सड़ कर बेकार हो गये हैं.

दो लाख लीटर दूध की आवश्यकता : वर्तमान में इस जिले की 13 लाख की आबादी को दो लाख लीटर दूध की आवश्यकता है. लेकिन वर्तमान में यहां महज 50-60 हजार लीटर दूध का उत्पादन किया जा रहा है. ऐसे में इस जिले के लोग दूध व इससे बनी वस्तुओं के लिए आसपास के जिले व राज्यों पर निर्भर हैं.
– जितेंद्र सिंह –

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