कैसे होगा लाचार बुजुर्ग का इलाज, एंबुलेंस ने किया गढ़वा ले जाने से इन्कार

भवनाथपुर : गरीबों को बेहतरऔरअत्याधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के सरकार के प्रयासों के बीच झारखंड के गढ़वा जिलामें एक बुजुर्ग को अस्पताल के बाहर ‘धूप सेंकने’ के लिए छोड़ दिया गया है. इन्हें बुखार हुआ है. कुछ जरूरी जांच कराने के लिए भवनाथपुर सीएचसी के डॉक्टरों ने शुक्रवार इन्हें गढ़वा रेफर किया. लेकिन, बुजुर्ग […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 10, 2018 3:08 PM

भवनाथपुर : गरीबों को बेहतरऔरअत्याधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के सरकार के प्रयासों के बीच झारखंड के गढ़वा जिलामें एक बुजुर्ग को अस्पताल के बाहर ‘धूप सेंकने’ के लिए छोड़ दिया गया है. इन्हें बुखार हुआ है. कुछ जरूरी जांच कराने के लिए भवनाथपुर सीएचसी के डॉक्टरों ने शुक्रवार इन्हें गढ़वा रेफर किया. लेकिन, बुजुर्ग अब तक यहीं पड़े हैं. अस्पताल के बाहर. 108 एंबुलेंस सेवा के ड्राइवर ने इन्हें गढ़वा ले जाने से मना कर दिया, क्योंकि सदर अस्पताल में बिना अटेंडेंट मरीज को भर्ती नहीं लिया जाता. वहीं, परिवार का कोई सदस्य इनकी देख-रेख के लिए आगे नहीं आ रहा है.

बीमार बुजुर्ग का नाम रामप्रसाद राम (पुत्र : घुना राम)है. वह गटियरवा गांव के रहने वाले हैं. दीपावली की शाम वह कर्पूरी चौक के समीप बेसुध पड़े थे. स्थानीय व्यवसायी ब्रजेश गुप्ता ने टोल फ्री नंबर 108परफोनकियाऔर एंबुलेंस बुलाकर उन्हें अस्पताल भिजवा दिया.

भवनाथपुर सीएचसी में तीन दिन के इलाज के बाद जरूरी जांच के लिए बुजुर्ग को गढ़वा रेफर कर दिया गया. अस्पताल के बाहर खुले में बैठे बुजुर्ग को देखकर भवनाथपुर पंचायत समिति सदस्य चंदन ठाकुर को रामप्रसाद पर तरस आ गया. उन्होंने रामप्रसाद के साथ फोटों खिंचवायी और 108 पर फोन करके एंबुलेंस भेजने के लिए कहकर वहां से चले गये.

रामप्रसाद राम को लगा कि उन्हें कोई फरिस्ता मिल गया है. अब उनका अच्छे से इलाज हो जायेगा और वह जल्दी ही ठीक हो जायेंगे. लेकिन, ऐसा हुआ नहीं. नगर ऊंटारी से आये एंबुलेंस के ड्राइवर ने रामप्रसाद को गढ़वा ले जाने से साफ मना कर दिया. पूछने पर कहा कि जब तक अटेंडेंट साथ नहीं होता, सदर अस्पताल में मरीज को भर्ती नहीं किया जाता. इसलिए वह रामप्रसाद को लेकर नहीं गया.

ज्ञात हो कि इस बुजुर्ग व्यक्ति की खोज-खबर लेने के लिए अब तक उनके घर से भी कोई नहीं आया है. फलस्वरूप रामप्रसाद अस्पताल के बाहर पड़े हैं. इस उम्मीद में कि कोई फरिस्ता आयेगा और उन्हें गढ़वा पहुंचा देगा.

Next Article

Exit mobile version