हरिहरपुर में चार लोगों ने उच्च शिक्षा के लिए 5.21 एकड़ जमीन दी थी दान
वर्ष 1979 में गांव के लोगों ने दान की भूमि पर चंदा करके उच्च विद्यालय किया था तैयार वर्ष 1982 में भवनाथपुर के तत्कालीन विधायक शंकर प्रताप देव ने विद्यालय का सरकारीकरण कराया हरिहरपुर :भवनाथपुर प्रखंड के सोनतटिय इलाका हरिहरपुर (अब कांडी प्रखंड) 1970 के दशक में सड़क, शिक्षा एवं स्वास्थ्य सहित बुनियादी सुविधाओं से […]
वर्ष 1979 में गांव के लोगों ने दान की भूमि पर चंदा करके उच्च विद्यालय किया था तैयार
वर्ष 1982 में भवनाथपुर के तत्कालीन विधायक शंकर प्रताप देव ने विद्यालय का सरकारीकरण कराया
हरिहरपुर :भवनाथपुर प्रखंड के सोनतटिय इलाका हरिहरपुर (अब कांडी प्रखंड) 1970 के दशक में सड़क, शिक्षा एवं स्वास्थ्य सहित बुनियादी सुविधाओं से कोसों दूर था. इस क्षेत्र के छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए 20-22 किमी दूर जाना पड़ता था. ऐसे में गांव की बेटियां उच्च शिक्षा से वंचित रह जाती थीं.
इस विषम परिस्थितियों को देखते हुए हरिहरपुर में शिक्षा के क्षेत्र में अलख जगाने के लिए गांव के जगनरायण सिंह, बालमुकुंद सिंह, उमाशंकर सिंह व डगर गांव निवासी नागेश्वर सिंह ने वर्ष 1979 में उच्च विद्यालय के लिए 5.21 एकड़ भूमि दान में दे दी थी. उस समय भवनाथपुर प्रखंड में भवनाथपुर के अलावा 20 से 22 किमी के दायरे में कोई भी उच्च विद्यालय नहीं था.
सिर्फ एक मध्य विद्यालय हरिहरपुर में था, जिसमें कक्षा सातवीं तक की ही पढ़ाई होती थी. इसके आगे पढ़ाई करने के लिए क्षेत्र के एक दो सक्षम व्यक्ति ही बाहर जा पाते थे, बाकी शिक्षा से वंचित रह जाते थे. इस कठिन परिस्थितियों में उक्त भूमि दाताओं ने अपने अपने हिस्से की कुल 5. 21 एकड़ जमीन विद्यालय के लिये दान में दी.
इसके बाद वर्ष 1979 में गांव, इलाके से चंदा इकट्ठा कर मिट्टी के खपरैलनुमा उच्च विद्यालय तैयार कराया व पढ़ाई शुरू हुई. इसके पश्चात भवनाथपुर विधान सभा क्षेत्र के तत्कालीन विधायक शंकर प्रताप देव ने दो जनवरी 1982 में विद्यालय को सरकारी दर्जा दिलाने का काम किया. वर्ष 1982 से विद्यालय का बिहार सरकार द्वारा संचालन होने लगा. विद्यालय का नामकरण शंकर प्रताप देव उच्च विद्यालय रखा गया.