अतिक्रमण से अस्तित्व पर खतरा

श्रीबंशीधर नगर : नगरउंटारी की जीवनरेखा माने जानी वाली बांकी नदी अपने अस्तित्व बचाने को लेकर जूझ रही है. 10-15 साल पहले तक सदाबह माने जाने वाली यह नदी आज दिसंबर में ही सूखने के कगार पर है. नदी के इस हाल के कारण जहां इस नदी तट पर बसे लोग नदी का लाभ नहीं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 21, 2019 1:23 AM

श्रीबंशीधर नगर : नगरउंटारी की जीवनरेखा माने जानी वाली बांकी नदी अपने अस्तित्व बचाने को लेकर जूझ रही है. 10-15 साल पहले तक सदाबह माने जाने वाली यह नदी आज दिसंबर में ही सूखने के कगार पर है. नदी के इस हाल के कारण जहां इस नदी तट पर बसे लोग नदी का लाभ नहीं ले पाते हैं, वहीं इन लोगों को गर्मी आते ही पेयजल संकट भी झेलना पड़ता है. नदी सूखने के कारण आसपास का जलस्तर काफी नीचे चला जाता है. इससे अधिकांश चापानल और कुआं सूख जाते हैं.

नदी की इस हालात की वजह नदी का अतिक्रमण बताया जाता है. बांकी नदी का उदगम स्थल बंबा डैम से ही नदी का अतिक्रमण शुरू हो चुका है. नदी के जमीन में लोग खेती करने लगे. इससे बांकी नदी काफी सिकुड़ गयी है. इसे बचाने को लेकर भाजपा नेता शारदा महेश प्रताप देव ने बांकी नदी बचाओ नामक संगठन बनाकर जन जागरूकता अभियान भी चलाया.
विधायक भानु प्रताप शाही ने भी शहर के गोसाईंबाग से धमनी तक जेसीबी लगाकर सफाई करवाते हुए नदी को चौड़ा करने का प्रयास किया था. लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिल सकी है. जानकारों का कहना है कि जबतक उदगम स्थल से लेकर नगरउंटारी तक किये गये नदी को अतिक्रमणमुक्त नहीं किया जाता है, तबतक नदी अपने अस्तित्व के संकट से जूझती रहेगी.
अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई होगी : अंचलाधिकारी : इस संबंध में नगरउंटारी अंचलाधिकारी अरुणिमा एक्का ने कहा कि वे इस बात से अनभिज्ञ हैं. यदि नदी का अतिक्रमण किया गया है, तो वे इसकी जांच करेंगी और अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.

Next Article

Exit mobile version