भीम बराज की बायीं मुख्य नहर में पानी आते ही नहर का बांध टूटने से दो गांव के 10 हेक्टेयर खेत पहले से ही डूबा हुआ था. वहीं अब फाटक खोलकर और पानी छोड़ दिया गया. इससे और सात हेक्टेयर खेतों में पानी भर गया है. इस तरह खेती योग्य 17 हेक्टेयर जमीन पानी में डूब गयी है. किसानों ने कहा कि उनके लिए भारी विपत्ति आ गयी है. धान का बीज भी डुबा हुआ है और दो गांव के खेत में पानी भरने से बीज नहीं डाला जा सकता है. जबकि भंडरिया से नीचे दर्जन भर गांव है जहां इसी नहर से पटवन करके खेती होती है. लेकिन शुरू में ही करीब तीन किलोमीटर में नहर साफ नहीं होने और बांध टूट जाने के कारण पानी आगे नहीं जा रहा है. इससे उन गांवों में भी धान का बीज डालना पूरी तरह बाधित हो गया है. इन गांवों में मोखापी, कोर्गाई, जयनगरा, भुड़वा, खरौंधा, बबुरा, कोइरियाडीह, कसनप और सुंडीपुर शामिल हैं. दो दर्जन से अधिक किसानों के सैकड़ों परिजन इन्हीं खेतों की फसल पर आश्रित हैं. लेकिन तीन दिन बीत जाने के बाद भी टूटे हुए बांध की मरम्मत एवं जाम पड़े नहर की सफाई की दिशा में कोई कार्रवाई शुरू नहीं की गयी है.
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