प्रखंड के मनरेगा की कई योजनाओं पर विराम लग गया है. मनरेगा कर्मियों के हड़ताल पर चले जाने से प्रखंड के कुल 20,100 मजदूर बेरोजगार बैठे हैं. प्रखंड में संचालित मनरेगा की योजनाओं पर ब्रेक लग गया है. मनरेगा कर्मियों में जेइ से लेकर प्रखंड स्तर पर मनरेगा को संचालित करने वाले बीपीओ, पंचायत स्तर पर रोजगार सेवक महीना भर से नियमितिकरण की मांग को लेकर हड़ताल पर है. इससे मानव दिवस सृजन की कार्य पर ब्रेक लग गया है. इसमें मनरेगा द्वारा संचालित योजनाएं जिसमें बिरसा बागवानी योजना, टीसीबी व मेड़ बंदी संबंधी योजनाएं हड़ताल की वजह से बंद है. ऐसे में मनरेगा में मजदूरों को नहीं के बराबर रोजगार मिल रहा है. मनरेगा के अलावा पंचायत के मजदूरों को आवास निर्माण कार्य में लगाया गया था. वह भी पंचायत सचिव व मुखिया की हड़ताल के बाद से ठप हो गया है. इसका कारण है कि आवास आदि में मनरेगा के तहत भुगतान की प्रक्रिया को लेकर पंचायत सेवक ही पंचायत स्तर पर मुखिया के साथ हस्ताक्षरी हैं. ऐसे में मनरेगा के तहत मजदूरों के रोजगार सृजन की योजना पर असर पड़ना स्वाभाविक है. रोजगार सेवक ही मनरेगा मजदूरों को रोजगार पर लगाने के साथ-साथ भुगतान के मामले में महत्वपूर्ण कड़ी हैं. ऐसे में यह योजना मजदूरों के लिए फिलहाल मृतप्राय हो जायेगी.
अन्य योजनाएं भी प्रभावित : इसके अलावा पंचायतों में चलने वाली 15वें वित्त सहित, अबुआ आवास योजना व मंईयां योजना भी पंचायत सचिव की हड़ताल के कारण प्रभावित हो गयी है. ऑनलाइन रिपोर्ट के अनुसार प्रखंड के डंडई पंचायत में अभी कुल 2300, जरही पंचायत में 3100, झोतर पंचायत में 1700, करके पंचायत में 1600, लवाही पंचायत में1900, पचोर पंचायत में 2500, रारों पंचायत में 2700, सोनेहारा पंचायत में 2300 व तसरार पंचायत में 2000 मनरेगा मजदूर है.
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