जाम से नहीं मिली निजात
गढ़वा : गढ़वा शहर के गुजरे एनएच-75 पर आये दिन हो रही दुर्घटनाएं व जाम की स्थिति से शहर के लोगों में सरकार के प्रति काफी रोष है. विदित हो कि वर्ष 1991 में गढ़वा को जिला बनने के बाद से ही शहर के लिए बाइपास की आवश्यकता महसूस की जा रही थी. तभी से […]
गढ़वा : गढ़वा शहर के गुजरे एनएच-75 पर आये दिन हो रही दुर्घटनाएं व जाम की स्थिति से शहर के लोगों में सरकार के प्रति काफी रोष है. विदित हो कि वर्ष 1991 में गढ़वा को जिला बनने के बाद से ही शहर के लिए बाइपास की आवश्यकता महसूस की जा रही थी. तभी से शहर के लोग इसके लिए समय-समय पर मांग उठाते रहे हैं.
लेकिन इसके बावजूद कोई कदम नहीं उठाया गया. वर्ष 2000 में जब अलग झारखंड राज्य का गठन हुआ, तो गढ़वावासियों को उम्मीद जगी कि अब बाइपास बन जायेगा. गढ़वावासियों की इस भावना को समझते हुए राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने 18 अक्तूबर 2001 में गढ़वा में कार्यक्रम के दौरान यहां शिलान्यास किया था. लेकिन यह शिलान्यास मात्र कार्यक्रम बन कर ही रह गया. शिलान्यास के 14 साल बीतने के बावजूद बाइपास सड़क का निर्माण कार्य शुरू किया गया. इसी बीच चिनिया रोड नहर के पास लगा शिलान्यास पट्ट टूट कर गिर गया.
आज की तिथि में उसका अस्तित्व भी समाप्त हो गया है. इसके बाद झारखंड विधानसभा का तीन बार हो गया. सभी चुनावों में बाइपास का निर्माण प्रत्याशियों के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल रहा. लेकिन इसके बावजूद किसी भी जनप्रतिनिधि ने इस पर कोई पहल नहीं की. इसके कारण गढ़वा शहर का बाइपास का निर्माण होने की बात तो दूर, आज तक निर्माण कार्य के लिए कोई होमवर्क(सर्वे आदि आरंभिक तैयारी/नक्शा) भी नहीं किया जा सका है.