न भवन बना, न सुविधाएं मिलीं

जितेंद्र सिंह गढ़वा: गढ़वा जिला मुख्यालय में आठ वर्ष पूर्व जिले के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर सदर अस्पताल अस्तित्व में आया. लेकिन जिन जरूरतों को पूरा करने के लिए गढ़वा अनुमंडलीय अस्पताल को सदर अस्पताल का दरजा मिला, वह आज तक पूरा नहीं हुआ. सरकारें बनती रही, वायदे होते रहे, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 22, 2015 1:23 PM

जितेंद्र सिंह

गढ़वा: गढ़वा जिला मुख्यालय में आठ वर्ष पूर्व जिले के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर सदर अस्पताल अस्तित्व में आया. लेकिन जिन जरूरतों को पूरा करने के लिए गढ़वा अनुमंडलीय अस्पताल को सदर अस्पताल का दरजा मिला, वह आज तक पूरा नहीं हुआ. सरकारें बनती रही, वायदे होते रहे, योजनाएं कागज पर बनते रही. इलाज के अभाव में लोगों के मरने का सिलसिला अनवरत जारी रहा, लेकिन व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ.
1955 में गढ़वा में अनुमंडल अस्पताल खुला था. उस वक्त यहां की आबादी काफी कम थी. धीरे-धीरे आबादी बढ़ती गयी और वर्ष 2000 में बिहार से अलग होकर झारखंड राज्य का गठन हुआ. जबकि वर्ष 1991 में ही गढ़वा को जिला का दर्जा मिला.जिला बनने के 15 साल बाद भवनाथपुर के विधायक सह तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री भानु प्रताप शाही के प्रयास से मधु कोड़ा के मुख्मंत्रित्व काल में इस अनुमंडलीय अस्पताल को वर्ष 2006 में सदर अस्पताल का दरजा मिला. लेकिन सदर अस्पताल का दरजा मिलने के आठ वर्ष बाद भी इस अस्पताल को सदर अस्पताल वाली सुविधा आज तक नहीं मिली. हालात यह कि आज भी यहां से इलाज के लिए लोगों को रांची जाना पड़ता है. इलाज के अभाव में यहां अब भी प्रति वर्ष सैकड़ों लोगों की मौत आम बात हो गयी है. अगर यहां निजी अस्पताल व चिकित्सक न रहें, तो यह आंकड़ा काफी बढ़ जायेगा.
6.44 करोड़ का नया भवन सात वर्ष से अधूरा
24 अप्रैल 2007 को 300 बेड के विस्तारित भवन वाले नया सदर अस्पताल का शिलान्यास तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोड़ा द्वारा स्वास्थ्य मंत्री भानु प्रताप शाही, सांसद घुरन राम, विधायक गिरिनाथ सिंह एवं रामचंद्र चंद्रवंशी की उपस्थिति में किया गया था. जो आज तक अधूरा है. दो माह पूर्व तत्कालीन उपायुक्त डॉ मनीष रंजन ने नया भवन में ओपीडी शुरू कराया था और संवेदक से शीघ्र काम पूरा करने को भी कहा था. इसी बीच उनका तबादला हो गया और नये भवन में पुन: ताला लग गया.
17 की जगह 11 चिकित्सक
सदर अस्पताल में 17 चिकित्सकों सहित कुल 80 पद सृजित हैं. लेकिन अब तक सदर अस्पताल में अनुमंडलीय अस्पताल की व्यवस्था ही कार्यरत है. वर्तमान में सदर अस्पताल में तीन महिला सहित 11 चिकित्सक कार्यरत हैं. बेड अनुमंडलीय अस्पताल वाला ही है. बेड के अभाव में मरीजों को जमीन पर लिटा कर उनका इलाज किया जाता है.
27 हजार लोगों पर एक चिकित्सक
गढ़वा जिले की आबादी लगभग 13 लाख है. और यहां कुल चिकित्सकों का सृजित पद 140 है. लेकिन वर्तमान में यहां कुल कार्यरत चिकित्सकों की संख्या मात्र 44 है. इस हिसाब से देखा जाये, तो इस जिले में 27 हजार लोगों के इलाज के लिए एक चिकित्सक बहाल किये गये हैं. प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, उपकेंद्र आदि एएनएम के भरोसे है. जिले के कई प्रखंडों में आलीशान अस्पताल भवन तो बन गये हैं, लेकिन वहां चिकित्सक नहीं हैं.

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