घोषणा हुई, अमल नहीं हुआ
– अनुप जायसवाल – नाम राज्यपाल नगर, सुविधा के नाम पर कुछ नहीं धुरकी (गढ़वा) : धुरकी प्रखंड के परासपानी गांव के छुछी टोला का नाम तो बदल कर राज्यपाल नगर कर दिया गया. लेकिन वास्तव में यह टोला छुछी (अभाववाला) का छुछी ही रह गया. प्रखंड मुख्यालय से आठ किमी दूर स्थित आदिम जनजाति […]
– अनुप जायसवाल –
नाम राज्यपाल नगर, सुविधा के नाम पर कुछ नहीं
धुरकी (गढ़वा) : धुरकी प्रखंड के परासपानी गांव के छुछी टोला का नाम तो बदल कर राज्यपाल नगर कर दिया गया. लेकिन वास्तव में यह टोला छुछी (अभाववाला) का छुछी ही रह गया. प्रखंड मुख्यालय से आठ किमी दूर स्थित आदिम जनजाति बहुल इस छुछी टोला को अलग झारखंड राज्य बनने पर सौगात मिली थी.
वर्ष 2001 में क्षेत्र के तत्कालीन जनप्रतिनिधि सह जलसंसाधन मंत्री रामचंद्र केसरी ने राज्य के प्रथम राज्यपाल प्रभात कुमार को यहां बुला कर छुछी टोला का नामांतरण राज्यपाल नगर के रूप में कराया था. तब इस टोला को राज्य के एक आदर्श टोला के रूप में विकसित करने की घोषणा की गयी थी. लेकिन वास्तव में छुछी टोला का सिर्फ नाम ही बदला जा सका, पहचान नहीं.
क्या की गयी थी घोषणा : राज्यपाल नगर के लिए सभी आदिम जनजातियों को इंदिरा आवास देकर उन्हें झोपड़ी से निकाल कर पक्का घर दिलाना था. गांव के बच्चों के लिए प्राथमिक स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र, उप स्वास्थ्य केंद्र, बिजली, सड़क आदि सब का निर्माण होना था. साथ ही आर्थिक विकास के लिए कल्याणकारी योजनाएं चलानी थी.