वर्चस्व को लेकर हुई थी लड़ाई
गढ़वा : गढ़वा मंडल कारा में वर्चस्व को लेकर कैदियों के बीच लगातार खूनी भिड़ंत होती रहती है. इससे जेल प्रशासन की नींद उड़ गयी है. इस भिड़ंत के पीछे कई कारण हैं–जेल में अपना वर्चस्व कायम करना, क्षमता से अधिक कैदियों और 250 से अधिक उग्रवादियों व अपराधियों का होना. ज्ञात हो कि बुधवार […]
गढ़वा : गढ़वा मंडल कारा में वर्चस्व को लेकर कैदियों के बीच लगातार खूनी भिड़ंत होती रहती है. इससे जेल प्रशासन की नींद उड़ गयी है. इस भिड़ंत के पीछे कई कारण हैं–जेल में अपना वर्चस्व कायम करना, क्षमता से अधिक कैदियों और 250 से अधिक उग्रवादियों व अपराधियों का होना.
ज्ञात हो कि बुधवार की सुबह वर्चस्व को लेकर कैदियों के दो गुटों में हुए खूनी संघर्ष में नौ कैदी गंभीर रूप से घायल हो गये थे.
सभी को सदर अस्पताल में भरती कराया गया. इनमें से छह कैदियों को इलाज के बाद वापस मंडल कारा भेज दिया गया है. तीन का इलाज अभी अस्पताल में किया जा रहा है. मंडल कारा में कैदियों की क्षमता 198 है. मगर वर्तमान में यहां 654 कैदी हैं. इनमें कई भाकपा माओवादी के नक्सली व अपराधी हैं.
मंडल कारा में वर्चस्व को लेकर लगातार मारपीट की घटनाएं होती रही हैं. इस पर अंकुश लगाने में जेल प्रशासन अब तक अक्षम साबित हुआ है. जेल में बंद अपराधी व उग्रवादी आये दिन गुटों में बंट कर एक–दूसरे पर हमला करते रहते हैं, ताकि उनका वर्चस्व वहां बना रहे.
छोटी–छोटी बातों पर होती है लड़ाई : प्रभारी काराधीक्षक प्रमोद कुमार झा ने बताया कि जेल में क्षमता से अधिक कैदी हैं. वहां आये दिन छोटी–छोटी बातों को लेकर तू तू–मैं–मैं होती रहती है. जेल में स्थिति सामान्य है. जेल में किसी तरत का तनाव नहीं है.