ओके.. दो साल से बंद है एचआइवी की जांच

अोके.. दो साल से बंद है एचआइवी की जांच9जीडब्ल्यूपीएच2- बंद पड़ा गढ़वा का एचआईवी जांच व परामर्श केंद्र 9जीडब्ल्यूपीएच3- दो वर्षो से धूल फाक रहा है केंद्र का कंप्यूटर व अन्य सामानदो साल से बंद हैं जिले के दो सेंटर. कुछ लोग मेदिनीनगर जाकर जांच कराते हैं. कई लोग जांच नहीं करा पा रहे हैं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 9, 2015 6:15 PM

अोके.. दो साल से बंद है एचआइवी की जांच9जीडब्ल्यूपीएच2- बंद पड़ा गढ़वा का एचआईवी जांच व परामर्श केंद्र 9जीडब्ल्यूपीएच3- दो वर्षो से धूल फाक रहा है केंद्र का कंप्यूटर व अन्य सामानदो साल से बंद हैं जिले के दो सेंटर. कुछ लोग मेदिनीनगर जाकर जांच कराते हैं. कई लोग जांच नहीं करा पा रहे हैं. एचआइवी संक्रमित लोगों की संख्या का पता नहीं लग पा रहा है, न ही बीमारी का अंदाज लग पा रहा है. गढ़वा. झारखंड राज्य एड्स नियंत्रण समिति के तत्वावधान में जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल परिसर एवं अनुमंडलीय अस्पताल नगरऊंटारी में आइसीटीसी ( इंटेग्रेटेड काउंसलिंग एंड टेस्टिंग सेंटर) का संचालन किया जाता था. लेकिन सरकारी उदासीनता के कारण पिछले दो साल से जिले के दोनों केंद्र बंद हैं. वहीं एसटीआइ (सेकेंड्री टेरेस्टियल इंटरफेस- युवा मैत्री केंद्र) का संचालन सिविल सर्जन द्वारा प्रतिनियुक्ति के आधार पर कराया जा रहा है. आइसीटीसी केंद्र बंद होने से जिले में एचआइवी से संबंधित जांच आदि के काम पिछले दो साल से बंद हैं. विदित हो कि गढ़वा जिले में दो वर्ष पूर्व तक लगभग 400 लोग एचआइवी से संक्रमित थे और दर्जनों लोगों की मौत इससे हो चुकी थी. जिले में एचआइवी से संक्रमित लोगों, खास कर वैसे गरीब लोग जो पलायन के बाद इसके शिकार होते हैं, उन्हें इसकी जांच कराने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. वर्तमान में वैसे लोग यहां से दूर मेदिनीनगर जिला मुख्यालय आइसीटीसी में जांच कराने को विवश हैं. इस स्थिति में कई लोग जांच के लिए मेदिनीनगर नहीं पहुंच पा रहे हैं. गढ़वा एवं नगरऊंटारी स्थित आइसीटीसी से जिले के लोगों को सहूलियत होती थी. उल्लेखनीय है कि जिले से प्रत्येक वर्ष काफी संख्या में लोग रोजगार की तलाश में दिल्ली, मुंबई, कोलकाता अादि शहर व गुजरात, बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब आदि राज्यों में जाते हैं. वहां अज्ञानतावश वे एचआइवी से संक्रमित होकर वापस घर लौटते हैं. जहां परिवार के अन्य सदस्य भी संक्रमण के शिकार होते हैं. एक तरफ सरकार एड्स नियंत्रण समिति के माध्यम से एनजीओ को लाखों रुपये देकर गांवों में एड्स जागरूकता अभियान चला रही हैं. दूसरी ओर इसके जांच व इसके निराकरण को लेकर खोले गये केंद्र को बंद कर दिया गया है. सरकार की इस दोहरीनीति से एचआइवी संक्रमित लोगों के घाव पर मरहम तो नहीं लग पा रहा है, बल्कि सरकारी राशि का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया जा रहा है. बहरहाल समय रहते दो वर्षों से बंद आइसीटीसी को नहीं खोला गया तो सरकार के लिए यह अनुमान लगा पाना कठिन होगा कि गढ़वा जिले में एचआइवी से संक्रमित लोगों की संख्या कितनी है और कितने लोग प्रत्येक वर्ष इसका शिकार हो रहे हैं.

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