…और अवाक रह गयी डीसी
गढ़वा : शनिवार को सुबह के 9.45 बज रहे थे. गढ़वा समाहरणालय के उपायुक्त कक्ष में एक सफाईकर्मी झाड़ू लगा रहा था. इस समय सफाईकर्मी के अलावा अनुसेवक सुभाष राम सिर्फ उपस्थित था. इसके अलावा इस समय तक समाहरणालय में अधिकांश कार्यालयों के ताले भी नहीं खुले थे. न ही कर्मचारी अथवा अधिकारी पहुंचे थे. […]
गढ़वा : शनिवार को सुबह के 9.45 बज रहे थे. गढ़वा समाहरणालय के उपायुक्त कक्ष में एक सफाईकर्मी झाड़ू लगा रहा था. इस समय सफाईकर्मी के अलावा अनुसेवक सुभाष राम सिर्फ उपस्थित था. इसके अलावा इस समय तक समाहरणालय में अधिकांश कार्यालयों के ताले भी नहीं खुले थे. न ही कर्मचारी अथवा अधिकारी पहुंचे थे. इसी बीच गढ़वा की नयी उपायुक्त नेहा अरोड़ा अपने कार्यालय में पहुंच गयी. कार्यालय में जब वे अंदर प्रवेश की, तो मैडम को देख कर झाड़ू लगानेवाला अवाक रह गया. वह अन्य दिनों की तरह इत्मीनान से नौ बजे के बाद झाड़ू लगाना शुरू किया था.
शनिवार को जब वह झाड़ू लगाने से पहले नयी डीसी मैडम को कार्यालय में देखा, तो हक्का-बक्का रह गया. डीसी भी यह देखकर अवाक रह गयी कि 9.45 बजे तक उनके कक्ष में झाड़ू नहीं लगा है. उन्होंने अपने अनुसेवक से पूछी कि आखिर समाहरणालय का कार्यालय कितना बजे खुलते हैं. अनुसेवक सुभाष राम ने कहा कि ठंड की वजह से कार्यालय विलंब से खुल रहे हैं. अधिकारी व कर्मचारी भी विलंब से आते हैं. करीब 10.30 बजे तक सभी कार्यालय खुलते हैं.
उपायुक्त श्रीमती अरोड़ा इस कार्य संस्कृति से काफी दुखित हुईं. उन्होंने अनुसेवक को हिदायत देते हुए कहा कि अगले दिन से कार्यालय में नौ बजे तक साफ-सफाई हो जानी चाहिए. इस बीच धीरे-धीरे कर्मचारी व अधिकारी भी अपने समय के अनुसार 10 बजे के बाद समाहरणालय पहुंचने लगे थे. जब उन्होंने पहले से उपायुक्त को यहां देखा, तो उन्होंने शर्मिंदगी महसूस की. जिस कार्यालय के कर्मचारी पहले आये, उन्होंने मोबाइल से अपने साहब को इस संबंध में जानकारी दी.
सुनने के बाद अन्य अधिकारी भी दौड़े-दौड़े कार्यालय पहुंचे. उपायुक्त के इस तरह कार्यालय में 10 बजे के पूर्व पहुंचना और अनुसेवक के माध्यम से सभी सरकारी कर्मियों की कार्य संस्कृति में सुधार का निर्देश दिये जाने के बात की दिनभर चर्चा होती रही. उम्मीद है कि नयी उपायुक्त के इस कार्य संस्कृति का असर समाहरणालय में सोमवार से देखने को मिलेगा.