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पढ़ाई की उम्र में आय का बोझ

– विजय सिंह – दूसरी व तीसरी कक्षा के छात्र 12 किमी दूर टाउनशिप में बेचते हैं दातून कभी-कभार जाते हैं स्कूल भवनाथपुर (गढ़वा) : प्रखंड मुख्यालय से 12 किमी दूर आदिम जनजाति बहुल झुरहा एवं लरहा प्रखंड के स्कूली छात्र पढ़ाई छोड़ कर दातून बेच रहे हैं व अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे […]

– विजय सिंह –

दूसरी व तीसरी कक्षा के छात्र 12 किमी दूर टाउनशिप में बेचते हैं दातून

कभी-कभार जाते हैं स्कूल

भवनाथपुर (गढ़वा) : प्रखंड मुख्यालय से 12 किमी दूर आदिम जनजाति बहुल झुरहा एवं लरहा प्रखंड के स्कूली छात्र पढ़ाई छोड़ कर दातून बेच रहे हैं व अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं. अहले सुबह 12 किमी दूर चल कर बच्चे टाउनशिप में आकर दातुन बेचते हैं.

ठंड में ठिठुरते तीसरी कक्षा के छठु कोरवा, योगेंद्र कोरवा एवं कक्षा दो के रामविश्वास कोरवा ने बताया कि वे लोग कभी-कभार स्कूल भी जाते हैं, लेकिन अधिकतर समय वे रोजी-रोटी के लिए दातुन एवं लकड़ी इकट्ठा करने जंगल में व उसे बेचने यहां आते हैं. बच्चों ने कहा कि घर में सब्जी व चावल नहीं है, दातून बेचकर चावल व सब्जी खरीदेंगे. गांव में जानेवाली सड़क नहीं है, लोग पगडंडी के सहारे गांव जाते हैं.

आज भी बीमार पड़ते हैं तो डोली खटोली से उन्हें अस्पताल ले जाया जाता है. गांव के बिठ्ठल कोरवा, रामपृत कोरवा, अमेरिका कोरवा, मुंद्रिका कोरवा, चंद्रिका कोरवा, घूरन कोरवा, मोहन कोरवा, बंशी कोरवा ने बताया कि उनके गांव में विकास का कोई काम नहीं हुआ है. लोग पलायन करने को विवश हैं.

शिक्षा व्यवस्था लचर

गांव में शिक्षा व्यवस्था काफी लचर है. लरहा गांव में उप्रावि में दो पारा शिक्षक हैं, वे पढ़ाने आते हैं लेकिन बच्चे नहीं आते. यही हाल झुरही गांव का भी है.

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