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धड़ल्ले से हो रही वनों की कटाई

डंडई बाजार में प्रति सप्ताह लगता है लकड़ियों का बाजार. बाजार में लोगों द्वारा खिड़की, दरवाजे, पटरा आदि बनाकर बाजार में बेचने के लिए लाते हैं. डीएफअो द्वारा कर्मचारियों की कमी बतायी जाती है. उन्होंने कहा कि कमी के कारण सब तरफ नजर नहीं रखा जा सकता है. डंडई(गढ़वा) : डंडई क्षेत्र में लगातार अंधाधुंध […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 1, 2016 5:53 AM
डंडई बाजार में प्रति सप्ताह लगता है लकड़ियों का बाजार. बाजार में लोगों द्वारा खिड़की, दरवाजे, पटरा आदि बनाकर बाजार में बेचने के लिए लाते हैं. डीएफअो द्वारा कर्मचारियों की कमी बतायी जाती है. उन्होंने कहा कि कमी के कारण सब तरफ नजर नहीं रखा जा सकता है.
डंडई(गढ़वा) : डंडई क्षेत्र में लगातार अंधाधुंध वनों की कटाई होने से इलाके का वनक्षेत्र समाप्त होने के कगार पर पहुंच गया है. इस इलाके के वनों से कितनी संख्या में अवैध रूप से लकड़ियां काटी जाती हैं. इसका अंदाजा हर बुधवार को डंडई में लगनेवाले बाजार को देख कर लगाया जा सकता है.
वन की लकड़ियों को काट कर तस्करी करनेवाले डंडई बाजार में पटरा, बोटा, चौका तथा दरवाजा आदि बना कर खुलेआम बेचते हैं. लकड़ी काटनेवाले आबादीवाले क्षेत्र से होकर प्रतिदिन आते हैं, जिसमें उन्हें थाना से भी गुजरना पड़ता है. बावजूद इनमें कोई भय नहीं देखा जाता.
गौरतलब है कि धड़ल्ले से जंगलों से तैयार हुई अथवा कच्ची लकड़ियों को बड़े पैमाने पर काटे जाने के कारण डंडई में लकड़ी व इससे बननेवाले फर्नीचरों का बाजार गढ़वा जिले में सबसे बड़ा माना जाता है. जिले के विभिन्न क्षेत्रों से लोग लकड़ी खरीदने और बेचने आते हैं. यहां बिकनेवाली लकड़ियां आरा मशीनों से चीर कर ग्राहकों को मनपसंद रूप से मिलती है. लकड़ी बेचनेवाले स्थानीय तस्कर सप्ताहभर लकड़ी काटने से लेकर से लेकर इसे चिराने का काम करते हैं तथा बुधवार को बाजार में लाते हैं.
बाजार में जो लकड़ियां नहीं बिकती है, उसे छोटे वाहनों द्वारा कहीं दूसरे जगह पर रख दिया जाता है. जिसे पुन: अगले बाजार को ले आया जाता है. वर्षों से इस प्रकार की लकड़ियों के अवैध धंधे से इस क्षेत्र के जंगलों का लगभग सफाया हो चुका है. लेकिन वन विभाग ने अभी तक इस अवैध कारोबार को रोकने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की है.

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