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छात्राओं को भरना पड़ता है पानी

शर्मनाक. रमकंडा प्रखंड अनुसूचित जाति आवासीय बालिका उवि में सुविधाओं का घोर अभाव रमकंडा(गढ़वा) : रमकंडा प्रखंड मुख्यालय स्थित महुआधाम के पास कल्याण विभाग द्वारा संचालित अनुसूचित जाति आवासीय बालिका उवि की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है. इस विद्यालय में 200 छात्राएं नामांकित हैं. लेकिन उनकी पढ़ाई से लेकर आवासीय व्यवस्था में बुनियादी सुविधा भी छात्राओं […]

शर्मनाक. रमकंडा प्रखंड अनुसूचित जाति आवासीय बालिका उवि में सुविधाओं का घोर अभाव
रमकंडा(गढ़वा) : रमकंडा प्रखंड मुख्यालय स्थित महुआधाम के पास कल्याण विभाग द्वारा संचालित अनुसूचित जाति आवासीय बालिका उवि की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है. इस विद्यालय में 200 छात्राएं नामांकित हैं.
लेकिन उनकी पढ़ाई से लेकर आवासीय व्यवस्था में बुनियादी सुविधा भी छात्राओं को उपलब्ध नहीं है. बालिका उवि में शिक्षकों की भी कमी है. इसके कारण छात्राओं को उचित पढ़ाई नहीं हो पाती. 200 छात्राओं की पढ़ाई मात्र प्रधानाचार्य राजेश चौधरी एवं शिक्षिका विमला कुमारी के भरोसे है. इसमें प्रधानाचार्य अधिकतर समय सरकारी कामकाज में लगे रहते हैं. शिक्षकों की कमी को देखते हुए इस विद्यालय में दो शिक्षकों का प्रतिनियोजन किया गया था. इसके बाद कुछ हद तक शिक्षा व्यवस्था में सुधार हुआ था, लेकिन दोनों शिक्षकों का पुन: प्रतिनियोजन रद्द करते हुए उन्हें मूल विद्यालय में वापस भेज दिया गया है. इसके कारण शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गयी है.
200 छात्राओं के लिए 25 बेड
विद्यालय में 200 छात्राओं के लिए मात्र 25 बेड है. इसके कारण छात्राओं को जैसे-तैसे रात में सोना पड़ता है. रात में बिजली के अभाव में उन्हें टॉर्च की रोशनी में सारा काम करना पड़ता है. पूछने पर बताया गया कि यह स्थिति पिछले सात महीने से बनी हुई है.
छात्रावास में न तो बिजली है और न ही इसके लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था. छात्राओं को शौचालय में भी काफी परेशानी होती है. शौचालय में पानी की व्यवस्था नहीं होने के कारण छात्रावास परिसर स्थित चापाकल से बाल्टी में पानी लेकर छात्राओं को छात्रावास के दूसरे तल्ले पर ले जाना पड़ता है.
शौचालय का पाइप भी फट चुका है. इसके कारण इससे शौचालय का पानी रिसते रहता है.इसके कारण शौचालय की टंकी का पानी भी ओवरफ्लो हो रहा है. इससे पूरा परिसर में दुर्गंध से भरा रहता है. फिलहाल छात्राएं परिसर के बीच चापाकल पर आश्रित हैं. उसका पानी भी कम होने लगा है. इसके कारण उन्हें नहाने के लिए आधा किमी दूर नदी किनारे स्थित एक कुएं पर जाना पड़ता है. वहां छात्राओं को खुले में स्नान करना पड़ता है. छात्रावास परिसर में सुरक्षा की भी व्यवस्था नहीं है. पिछले बरसात में ही चहारदीवारी का एक हिस्सा गिर गया था. लेकिन आजतक उसकी मरम्मत नहीं की जा सकी.
सात माह पहले हुआ था यहां स्थानांतरण
अनुसूचित जाति आवासीय बालिका उवि पहले प्रखंड मुख्यालय बघमरिया स्थित बालक छात्रावास में ही संचालित होता था. जहां छात्राओं को कमरे में खाना, पीना, सोना एवं पढ़ना पड़ता था. जगह के अभाव में उन्हें कई समस्याओं को झेलना पड़ता था. इन समस्याओं के निजात के लिए पिछले 26 जुलाई 2015 को महुआधाम स्थित नवनिर्मित विद्यालय भवन में उक्त विद्यालय को स्थानांतरित किया गया, लेकिन इसके सात माह बीत जाने के बाद भी समस्या यथावत रह गयी है. इसमें विभागीय अधिकारियों की लापरवाही बतायी जाती है.
अधिकारियों को अवगत कराया : प्रधानाचार्य
अनुसूचित जाति आवासीय बालिका उवि में शिक्षा व्यवस्था सहित अन्य बुनियादी समस्याओं के संबंध में पूछे जाने पर प्रधानाचार्य राजेश चौधरी ने बताया कि इन समस्याओं के समाधान के लिए अबतक उन्होंने दर्जनों बार जिला कल्याण पदाधिकारी एवं उपायुक्त को आवेदन दिया है. लेकिन अभीतक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
स्कूल में पढ़नेवाली बच्चियां आधा किलोमीटर दूर स्थित कुआं से पानी खींचती हैं, िफर सिर पर ढोकर स्कूल में दूसरी मंजिल पर ले जाती हैं. तब कहीं इसका इस्तेमाल कर पाती हैं. यदि पानी का अभाव है, तो इसके लिए कर्मचारी नियुक्त किया जाना चाहिए. बच्चियों से पानी भरवाना बाल श्रम नहीं है?

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