चापानल पर लगती है लंबी कतार

पेयजल संकट. प्रमुख नदियां और जलस्रोत सूखे, परेशानी बढ़ी गरमी के शुरू होते ही जिले के प्रमुख नदियां व जलस्त्रोत सूखने के कारण जिला मुख्यालय सहित विभिन्न प्रखंडों में पेयजल की गंभीर संकट उत्पन्न हो गयी है. चार से आठ फीट तक पानी का जलस्तर नीचे चले जाने से विभिन्न प्रखंडों के सैकड़ों चापानल सूख […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 5, 2016 8:56 AM
पेयजल संकट. प्रमुख नदियां और जलस्रोत सूखे, परेशानी बढ़ी
गरमी के शुरू होते ही जिले के प्रमुख नदियां व जलस्त्रोत सूखने के कारण जिला मुख्यालय सहित विभिन्न प्रखंडों में पेयजल की गंभीर संकट उत्पन्न हो गयी है. चार से आठ फीट तक पानी का जलस्तर नीचे चले जाने से विभिन्न प्रखंडों के सैकड़ों चापानल सूख गये हैं. डीप बोर सूखने के कारण पीएचइडी द्वारा शहर में पेयजलापूर्ति 24 घंटे में एक बार की जा रही है.
गढ़वा : गर्मी के शुरू होते ही जिले के प्रमुख नदी, तालाब व अन्य जलस्त्रोत सूखने से पेयजल संकट गहराने लगा है. वहीं पेयजल व स्वच्छता विभाग द्वारा बंद व खराब चापानलों की मरम्मत नहीं कराये जाने से लोगों के समक्ष समस्याएं और बढ़ती जा रही है. जिले के प्रमुख नदियां दानरो, तहले, बांकी, सदाबह, पंडा सहित अन्य जलस्त्रो सूख गये हैं, जिसके चलते पेयजल की समस्या बढ़ गयी है.
समाचार के अनुसार इस वर्ष फरवरी में ही चार से आठ फीट तक जलस्त्रोत नीचे चले जाने व नदियों के सूख जाने के कारण सैकड़ों चापानल फरवरी-मार्च महीने में ही सूख गये हैं. दानरो नदी के सूख जाने से शहर में पीएचइडी द्वारा आपूर्ति की जानेवाली पानी 24 घंटे में एक बार दी जा रही है. शहर के चापानलों पर सुबह से ही पानी के लिए भीड़ देखी जा रही है.
पीएचइडी का डीप बोर फेल
गढ़वा नगर परिषद क्षेत्र में पेयजल व स्वच्छता विभाग द्वारा आपूर्ति की जानेवाली डीपबोर जनवरी महीन में ही सूख गया है. फरवरी महीने से पेयजलापूर्ति में कटौती कर 24 घंटे में एक बार लोगों को पानी दी जा रही है.
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चीरखाना के सामने दानरो नदी में बना डीप बोर सूख गया है, जिसके चलते आपूर्ति में बाधा उत्पन्न हो रही है. इसलिए 24 घंटे में एक बार शहर को पानी की आपूर्ति की जा रही है. आनेवाले दिनों में एक बार भी पानी की आपूर्ति करना मुश्किल हो सकता है.
16100 चापानल में से 2283 बंद
पेयजल व स्वच्छता विभाग द्वारा जिले भर में लगाये गये 16100 चापानलों में से 2283 चापानल पूरी तरह से बंद हैं. जबकि 344 चापानल का पूरा सेट खराब है और 1177 चापानल का पाइप बदलना है. जबकि 762 चापानल की मरम्मत जरूरी है. ऐसे में पेयजल की संकट बढ़ने के बाद पेयजल व स्वच्छता विभाग द्वारा लापरवाही बरतना लोगों के परेशानी का सबब बन सकता है.
53 पेयजलापूर्ति केंद्र में 16 बंद
जिलेभर में पयेजल व स्वच्छता विभाग का 53 पेयजलापूर्ति केंद्र है. जिनमें से 16 केंद्र पहले से ही बंद पड़े हुए हैं. इनमें नगरऊंटारी, भंडरिया व बड़गड़ में डीजल के अभाव में बंद हैं. इसके अलावा चिनिया पाइप लाइन पेयजलापूर्ति, मेराल, मझिआंव की पांच छोटी पेयजलापूर्ति केंद्र बिजली के अभाव में बंद है.
विश्व बैंक से संपोषित 14 योजना निर्माणाधीन
विश्व बैंक से संपोषित 20-25 लाख की लागत से बननेवाली 14 पेयजलापूर्ति योजना निर्माणाधीन है. इनमें ढोटी, कबिशा, मेढ़नाकला, खरडीहा, लखना, कटरा, सोनदाग, कचरा आदि शामिल है. उक्त योजनाएं इस वर्ष गरमी तक पूरी होती नहीं दिख रही है. बावजूद विभाग इसे गरमी तक पूरा करा लेने के लिए प्रयासरत है.
फ्लोराइड प्रभावित गांव में 126 चापानल लगे
पेयजल व स्वच्छता विभाग के अनुसार जिले के फ्लोराइड प्रभावित गांवों में 126 नया चापानल लगाये गये हैं. जबकि इन चापानलों में सिलेंडर के माध्यम से पाइप लाइन के जरिये पानी की आपूर्ति करना है. लेकिन पाइप लाइन का काम नहीं होने के कारण लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. जबकि 75 नया चापानल का आवंटन भी प्राप्त हुआ है.

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