पानी के लिए रतजगा कर रहे हैं लोग

रंका(गढ़वा) : रंका अनुमंडल मुख्यालय के वार्ड नंबर एक में गरमी बढ़ने के साथ ही पेयजल संकट भी गहरा गया है. जैसे-जैसे तापमान में वृद्धि हो रही है, यहां का जलस्तर नीचे जा रहा है. इसके कारण इस वार्ड के चापानलों ने पानी देना बंद कर दिया है. अब लोगों को इक्के-दुक्के जलस्रोतों से काम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 6, 2016 8:08 AM
रंका(गढ़वा) : रंका अनुमंडल मुख्यालय के वार्ड नंबर एक में गरमी बढ़ने के साथ ही पेयजल संकट भी गहरा गया है. जैसे-जैसे तापमान में वृद्धि हो रही है, यहां का जलस्तर नीचे जा रहा है. इसके कारण इस वार्ड के चापानलों ने पानी देना बंद कर दिया है. अब लोगों को इक्के-दुक्के जलस्रोतों से काम चलाना पड़ रहा है. इसके कारण लोगों को पानी के लिए रतजगा करना पड़ रहा है.
वार्ड नंबर एक के 30 घर की बस्ती में मात्र एक ही चापानल है. जलस्तर नीचे चले जाने से चापानल रूक-रूक कर पानी दे रहा है. इसके कारण चापाकल पर पानी लेने के लिए नंबर लगाना पड़ता है. चेकनाकावासियों को पीने के पानी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. यहां के लोग एक किमी दूर दौनादाग जाकर वहां से पीने का पानी ला रहे हैं.
मुहल्लावासी सूरज राम, विजय राम, मुन्नी देवी, ओंकार दास, उदय प्रसाद आदि ने बताया कि वार्ड के सभी चापाकल सूख चुके हैं. यदि अभी से इस उपया नहीं खोजा गया, तो अगले महीने में और गर्मी बढ़ने के साथ उन्हें पानी के लिए तड़पना पड़ेगा.
नदी-नालों के सूखने से जलसंकट गहराया : प्रखंड मुख्यालय सहित आसपास के ग्रामीण इलाकों में अप्रैल महीने से ही जलसंकट गहराने लगा है. इसके कारण लोग अभी से पानी के लिए परेशान हैं.
लोगों का कहना है कि अप्रैल के प्रथम सप्ताह में ही जब यह स्थिति है, तो मई-जून के महीने में स्थिति क्या होगी. विदित हो कि प्रखंड की जीवन रेखा कही जानेवाली सुखड़ा नदी एवं बांकी नदी पूरी तरह से सूख गयी है. साथ ही जिरूआ जलाशय, बरहिया डैम एवं चनाकला डैम भी सूखने के कगार पर पहुंच गया है. प्रखंड के सभी नदी-नाले के साथ आहर-पोखर भी सूख जाने से सबसे अधिक परेशानी पशुपालकों को हो रही है. उनके पशु पानी के लिए भटक रहे हैं.
इधर किसान अपने खेतों में लगाये गये फसल एवं सब्जियों को बचाने के लिये परेशान दिख रहे हैं. वे किसी तरह नदियों में गड्ढा खोदकर अपने खेत एवं मवेशियों के लिए पानी निकाल रहे हैं.
किसानों का कहना है कि अभी तो किसी तरह पशुओं का प्यास बुझाया जा रहा है, लेकिन जिस तरह से गरमी बढ़ रही है, महीना पंद्रह दिनों में स्थिति काफी भयावह हो जायेगी. प्रखंड के रमना, कर्णपुरा, परसवान, टंडवा, गम्हरिया, बुलका, जोगीराल आदि गांवों में भी जलस्तर नीचे चले जाने से ग्रामीण परेशान हैं. उन्हें पानी के लिए सुबह से ही भाग दौड़ करना पड़ रहा है.

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