पानी के लिए भटक रहे हैं जंगली जानवर

गढ़वा़ : सगमा प्रखंड में पानी संकट से न सिर्फ आम लोग परेशान हैं, अपितु जंगली जानवर भी उतना ही परेशानी का सामना कर रहे हैं. जंगलों में रहनेवाले जानवरों को पानी के लिए आये दिन भटकते हुए देखा जा सकता है. ये जानवर पानी की खोज में आबादीवाले क्षेत्रों में पहुंच जा रहे हैं, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 21, 2016 7:57 AM
गढ़वा़ : सगमा प्रखंड में पानी संकट से न सिर्फ आम लोग परेशान हैं, अपितु जंगली जानवर भी उतना ही परेशानी का सामना कर रहे हैं. जंगलों में रहनेवाले जानवरों को पानी के लिए आये दिन भटकते हुए देखा जा सकता है.
ये जानवर पानी की खोज में आबादीवाले क्षेत्रों में पहुंच जा रहे हैं, इसके कारण उनकी जान पर आफत आ जा रही है. शिकारी जानवरों के इस मजबूरी का लाभ उठा रहे हैं. गौरतलब है कि जंगल से लगे हुए जितने भी नदी अथवा अन्य जलाशय हैं सभी सूख चुके हैं. इसके कारण जंगली जानवरों को पानी के लिए भटकते हुए गांवों की तरफ आना उनकी विवशता हो गयी है. जानवरों के इस संकट को देखते हुए ग्रामीण सुभाष प्रसाद यादव, श्याम किशोर यादव, सिदेश्वरनाथ चौबे, संतोष प्रजापति, निरंजन बैठा आदि ने इन पशुओं के लिए नदी नालों में चुआड़ी खोदने की मांग की है.
जिले में तीन हजार से अधिक चापाकल खराब
जिले में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा लगभग 16 हजार चापाकल लगाये गये हैं. इनमें से तीन हजार से अधिक चापाकल विभिन्न कारणों से मरम्मत के अभाव में खराब पड़े हुए हैं.
विभाग की लापरवाही का नतीजा है कि सर पर जब आफत आयी है, तब उन्हें खराब चापाकलों की मरम्मत का ख्याल आया है. पेयजल की गंभीर समस्या का अंदेशा काफी पहले जताया गया था,लेकिन पेयजल एवं स्वच्छता विभाग इसे गंभीरता से नहीं लिया, इसका नतीजा सबके सामने है.
जब मुसीबत आयी है, तो विभाग द्वारा हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है, जबकि यह कार्यक्रम सालों भर चलना चाहिए था. जिससे गंभीर पेयजल की समस्या से लोगों को निजात मिलता.विभाग द्वारा हेल्पलाइन नंबर तो जारी किया गया है,लेकिन आलम यह है कि विभाग के लोग अब भी फोन उठाने से कतराते हैं. ऐसे में हेल्पलाइन नंबर का कोई औचित्य नहीं है.

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