ढढरा नदी से बड़े पैमाने पर हो रहा पत्थरों का अवैध उत्खनन

भवनाथपुर : भवनाथपुर, केतार एवं खरौंधी प्रखंड की आधा दर्जन पंचायत की लाइफलाइन मानी जानेवाली ढढरा नदी के अस्तित्व को समाप्त करने की कवायद पत्थर माफियाओं द्वारा शुरू कर दी गयी है. पत्थरों के अवैध कारोबार में ग्रामीण, सड़क के ठेकेदार था पंचायत प्रतिनिधि भी शामिल है़ं कूपा पंचायत के मुखिया वैजू गुप्ता ने एक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 12, 2017 8:19 AM
भवनाथपुर : भवनाथपुर, केतार एवं खरौंधी प्रखंड की आधा दर्जन पंचायत की लाइफलाइन मानी जानेवाली ढढरा नदी के अस्तित्व को समाप्त करने की कवायद पत्थर माफियाओं द्वारा शुरू कर दी गयी है. पत्थरों के अवैध कारोबार में ग्रामीण, सड़क के ठेकेदार था पंचायत प्रतिनिधि भी शामिल है़ं कूपा पंचायत के मुखिया वैजू गुप्ता ने एक माह पूर्व खनन विभाग को नदी से अवैध उत्खनन की लिखित जानकारी दी थी, लेकिन कोई नोटिस विभाग द्वारा नहीं लिया गया़ जानकारी के अनुसार, उक्त नदी तीन प्रखंडों के लगभग डेढ़ सौ गांव से होकर गुजरती है, यह नदी गरमी के दिनों में पशुओं के लिये वरदान साबित होती है़
इसी नदी में छुपी हुई पत्थरों पर पत्थर माफियाओं की नजरें आकर टिक गयी और शुरू हुआ अवैध पत्थरों का उत्खनन व ढुलाई़ इस काम में काफी लोग लगे हुए हैं. गांव के लोगों को पत्थर तोड़ने व उनसे खरीदने का लालच देकर ठेकेदार व माफिया नदी से पत्थर का उत्खनन करवा रहे है़ं वर्तमान में जिस गति से इस नदी से पत्थरों का अवैध उत्खनन हो रहा है
उस पर जल्द ही विराम नहीं लगा तो जल्द ही नदी का अस्तित्व मिट जायेगा़ नदी से निकाले गये पत्थर चौरिया मुख्य पथ से चंद्रे तक बन रहे सड़क निर्माण के ठेकेदार के हाथों बेचे जा रहे है़ं दिन में पत्थरों की तोड़ाई होती है और रात को ट्रैक्टर से उक्त पत्थरों को सड़क निर्माण कार्य में भेजा जाता है़ इस दौरान यह प्रतिनिधि जब मौके पर पहुंचा तो मजदूरों ने कहा कि यहां काम करके ही उनके घर का चूल्हा जलता है़
मजदूरों ने कहा कि पत्थर को तोड़वाने में बलिगढ़ पंचायत के मुखिया सुरेंद्र यादव, चचेरिया के गौतम राणा, चंद्रे के नागेंद्र यादव, सिंघीताली के सुनील पांडेय शामिल है़ं वहीं बलिगढ़ के मुखिया सुरेंद्र यादव ने कहा कि चुनाव में काफी खर्च हो गया है. इसलिए दो नंबर का काम करना उनकी मजबूरी है़ बताया गया कि मजदूरों को एक ट्रैक्टर पत्थर निकालने का 350 रुपये मिलते हैं, उसे ठेकेदारों को 1100 में बेचा जाता है़ वहीं कूपा गांव से सटे मुंगड़ी पहाड़ से भी अवैध उत्खनन का कार्य किया जा रहा है़

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