गढ़वा में प्रशासन की अनदेखी से नाराज मजदूरों ने क्वारेंटाइन सेंटर से भागकर किया एनएच जाम
जिले के रंका प्रखंड कार्यालय स्थित आइबी भवन क्वारंटाइन सेंटर से 20 मजदूर मंगलवार की सुबह 10 बजे चहारदीवारी कूद कर भाग निकले और प्रशासन पर सहायता न करने का आरोप लगाते हुए एनएच 343 (गढ़वा-अंबिकापुर मार्ग) को जाम कर दिया. मजदूर रंका प्रखंड कार्यालय से भागकर खरडीहा पहुंचे और वहीं सड़क जाम कर दिया. सड़क जाम की वजह से दोनों ओर मालवाहक ट्रकों की लंबी लाइन लग गयी. इस बीच आंधी और बारिश में भी मजदूर सड़क पर डटे रहे.
गढ़वा : जिले के रंका प्रखंड कार्यालय स्थित आइबी भवन क्वारंटाइन सेंटर से 20 मजदूर मंगलवार की सुबह 10 बजे चहारदीवारी कूद कर भाग निकले और प्रशासन पर सहायता न करने का आरोप लगाते हुए एनएच 343 (गढ़वा-अंबिकापुर मार्ग) को जाम कर दिया. मजदूर रंका प्रखंड कार्यालय से भागकर खरडीहा पहुंचे और वहीं सड़क जाम कर दिया. सड़क जाम की वजह से दोनों ओर मालवाहक ट्रकों की लंबी लाइन लग गयी. इस बीच आंधी और बारिश में भी मजदूर सड़क पर डटे रहे.
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मजदूरों का आरोप है कि वे सभी गुजरात (बड़ौदा) से 2.5 लाख रुपये में बस रिजर्व कर अपने गांव लौट रहे थे. इसी क्रम में रंका में सभी मजदूरों को रोक दिया गया है. और बस को वापस भेज दिया गया. रोक कर क्वारेंटाइन सेंटर में रखा गया. क्वारंटाइन सेंटर में सभी मजदूरों को स्वास्थ्य जांच के बाद उन्हें गांव भेजने की कोई व्यवस्था नहीं की गयी साथ ही उन्हें रात में भोजन भी नहीं दिया गया. मजदूरों के साथ कुछ बच्चे भी हैं.
सभी मजदूर गढ़वा जिला के भवनाथपुर व खरौंधी प्रखंड के रहने वाले हैं. मजदूरों ने बताया कि रात में भोजन नहीं मिला. सिर्फ एक पॉकेट छोटा बिस्किट एवं मिक्चर मिला. सुबह दस बजे तक खाने के लिए कुछ नहीं मिला. स्वास्थ्य जांच में विलंब होने के कारण मजदूर नाराज थे. छोटे-छोटे बच्चे भी भूखे थे. समाचार लिखे जाने तक प्रशासन मजदूरों को समझाने में लगी थी.
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क्या कहना है अधिकारी का
इस संबंध में सीओ सह बीडीओ निशात अंबर ने कहा कि दूर-दराज से आने वाले मजदूरों की सूचना रंका की प्रशासन नहीं देती है. इस कारण रात्रि में मजदूरों को खाना नहीं मिल सका. बिस्किट व मिक्चर दिया गया. चिकित्सक के कमी के कारण मजदूरों के स्वास्थ्य जांच में विलंब होता है. क्वारंटाइन सेंटर में सिर्फ एक-दो चौकीदार रहते हैं. सुबह में एक चौकीदार भोला पासवान मौजूद था. मजदूरों ने चौकीदार भोला पासवान की बात नहीं सुना और चहारदीवारी कूदकर भाग निकले.