पुरुषार्थ के बल पर कोई भी बड़ा काम किया जा सकता है : प्रपन्नाचार्य

पुरुषार्थ के बल पर कोई भी बड़ा काम किया जा सकता है : प्रपन्नाचार्य

By Prabhat Khabar News Desk | April 13, 2024 8:51 PM

शहर के गढ़देवी मंदिर के समीप नरगिर आश्रम में चल रहे नौ दिवसीय रामकथा ज्ञान महायज्ञ के चौथे दिन कथा वाचक संत प्रपन्नाचार्य ने शिव पार्वती संवाद का वर्णन करते हुए निराकार ब्रह्रम के साकार रूप में अवतार लेने के कारणों का सारगर्भित वर्णन किया. पार्वती भक्ति तो शिव विश्वास का प्रतीक है. जब भक्ति और विश्वास मिल जाते हैं, तो पुरुषार्थ का निर्माण होता है. पुरुषार्थ के बल पर संसार का कोई भी बड़ा काम सफलता पूर्वक किया जा सकता है. इसलिए लंका विजय के पूर्व भगवान श्रीराम ने स्वयं शिव पूजा की थी. भगवान राम और शिव दोनों एक दूसरे की भक्ति मे डूबे रहते हैं. राम भक्ति के लिए भी शिव अराधना जरूरी है. बिना छल-कपट के भोलेनाथ की अराधना से ही रामभक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है. प्रपन्नाचार्य ने कहा कि भगवान शिव का स्थायी निवास कैलाश पर्वत तथा अस्थायी निवास सभी शिव मंदिरों में है. भगवत प्राप्ति के लिए भक्त को कैलाश पर्वत की तरह शीतल, धवल, दृढ़ और उच्च आदर्श युक्त होना चाहिए.

पार्वती जी के कुल 14 प्रश्नों मे से छह प्रश्नों के उत्तर ही वर्तमान रामायण का स्वरूप है. भक्तों के रक्षा एवं उनके इच्छा को पूरा करने के लिए उन्हे विविध स्वरूपों में धरती पर आना पड़ा. जब-जब धर्म की हानि होती है और असुरों एवं अधर्मियों की संख्या बढ़ जाती है, तब धर्म की रक्षा के लिए प्रभु अवतरित होते हैं. ठीक उसी प्रकार जैसे जल निराकार रहते हुए भी विभिन्न पात्रों मे रखने पर अलग अलग रूप ग्रहण कर लेता है. भागीरथी गंगा सिर्फ उसमें स्नान करनेवालों को तारती है लेकिन कथा रूपी गंगा से कहीं भी, कभी भी व कोई भी तर जाता है. जय और विजय भगवान विष्णु के द्वारपाल थे. एक बार सनकादि मुनि भगवान विष्णु के दर्शन करने वैकुंठ आये. जब सनकादि मुनि द्वार से होकर जाने लगे, तो जय-विजय ने हंसी उड़ाते हुए उन्हें बेंत अड़ाकर रोक लिया. क्रोधित होकर सनकादि मुनि ने उन्हें तीन जन्मों तक राक्षस योनी में जन्म लेने का श्राप दे दिया.

उपस्थित लोग : मौके पर डॉ लालमोहन मिश्र, द्वारिकानाथ पांडेय, अरुण दुबे, अमरेन्द्र मिश्रा, मनोज सिन्हा, बृजेश पांडेय, सुखबीर पाल, अवधेश कुशवाहा, दिलीप कुमार पाठक, राजन पांडेय, मनीष कमलापुरी, नीतेश कुमार गुड्डू, अरुण दुबे, अमरेन्द्र मिश्रा, बृजेश, धनंजय पांडेय, संजय अग्रहरि, दिनानाथ बघेल, जयशंकर राम, विकास ठाकुर, शान्तनु केशरी, श्रीपति पांडेय, रंजित कुमार, कृष केशरी, अमित पाठक, राजा बघेल, पीयूष कुमार, गौतम शर्मा, शुभम कुमार, गोलु बघेल व सुदर्शन मेहता उपस्थित थे.

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