बड़गड़. बड़गड़ प्रखंड अंतर्गत बिरहा मध्यम सिंचाई योजना का जीर्णोद्धार कार्य पूर्ण होने के महज डेढ़ वर्ष बाद ही नहर टूट गयी. इससे ग्रामीणों में काफी आक्रोश है. आक्रोशित ग्रामीण गुरुवार को सिंचाई विभाग एवं संवेदक पर गुणवत्तापूर्ण कार्य नहीं किये जाने का आरोप लगाते हुए धरना पर बैठ गये. इस कारण करीब छह घंटे तक बड़गड़-भंडरिया मुख्य पथ जाम रहा. धरना पर बैठे ग्रामीण जीर्णोद्धार कार्य में बरती गयी अनियमितता की जांच करने एवं तत्काल नहर की मरम्मति की मांग कर रहे थे. धरना दे रहे ग्रामीणों ने बताया कि उक्त नहर में अचानक पानी आना बंद हो गया. इससे वे लोग परेशान हो गये. पानी बह कर बिरहा नाला में जा रहा : इसके बाद महुआटीकर टोला के ग्रामीण सामूहिक रूप से इसका पता लगाने लगे. नहर की जांच करने पर पाया कि महुआटीकर स्थित मुख्य पथ से लगभग 200 मीटर पूरब दिशा की ओर नहर टूट कर धंस चुकी है. वहीं से बिरहा डैम के नहर का पूरा पानी बह कर बिरहा नाला में चला जा रहा है. यह देख ग्रामीण नाराज होकर बड़गड़- भंडरिया मुख्य पथ पर महुआटीकर गांव के पास सुबह में ही सड़क जाम कर धरने पर बैठ गये. इससे करीब छह घंटो तक सड़क जाम रही. धरना को जायज बताया : ग्रामीणों के इस धरना को जायज ठहराते हुए स्थानीय समाजसेवी एवं विभिन्न राजनीतिक दल के लोगों ने भी उनका समर्थन किया और धरना स्थल पर बैठकर ग्रामीणों का साथ दिया. धरना में ग्रामीण जलील अंसारी, बिरद लकड़ा, सोनू पासवान, शिवनाथ मिंज, राजू बाड़ा, कुंवरसाय किस्पोट्टा, बदलू मिंज, अलविस खलखो, रामबरन कुजूर, सुंदर लकड़ा, हरिहर सिंह, सुरेश लकड़ा व सुनील बाखला आदि शामिल हैं. धरनास्थल पर इनका साथ झामुमो जिला प्रवक्ता संदीप गुप्ता, जिप सदस्य प्रतिनिधि राधेश्याम जायसवाल व सामाजिक कार्यकर्ता अरुण प्रसाद ने दिया. बर्बाद हो जायेगी फसल : धरना पर बैठे ग्रामीणों ने कहा कि बिरहा डैम के पानी पर आश्रित उन सभी किसानों ने अपनी जमीन पर मक्का, सरसों, राई व आलू सहित अन्य फसलें लगायी है. अगर दो-चार दिनों तक उनके खेतों तक पानी नहीं पहुंचा, तो सभी फसल बर्बाद हो जायेगी इससे सभी गरीब किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ेगा. तत्काल मरम्मत नहीं हुई, तो नुकसान गौरतलब है कि प्रखंड मुख्यालय से सटे कुम्हीकोना टोला स्थित बिरहा डैम महुआटीकर एवं कुम्हीकोना के किसानों के लिए सिंचाई का सबसे महत्वपूर्ण साधन है. इस डैम के पानी से दोनों टोले के सैकड़ो किसान वर्ष भर अपने खेतों की सिंचाई कर फसल उगाते हैं. सिंचाई विभाग द्वारा डेढ़ वर्ष पूर्व करीब डेढ़ करोड़ की लागत से बिरहा मध्यम सिंचाई योजना के अंतर्गत इसका जीर्णोद्धार कार्य कराया था. ग्रामीणों ने बताया कि नहर के कई जगहों से पानी का रिसाव हो रहा है. अगर तत्काल इसकी मरम्मत नहीं करायी गयी, तो अन्य जगहों पर भी नहर के टूटने की आशंका है. कार्यपालक अभियंता के आश्वासन पर समाप्त हुआ धरना इधर सड़क जाम की सूचना पाकर लघु सिंचाई विभाग के कार्यपालक अभियंता डेविड तिर्की एवं कनीय अभियंता राजेन्द्र कुमार धरना स्थल पर पहुंचे. उन्होंने ग्रामीणों से मिलकर टूटी नहर का भौतिक निरीक्षण किया तथा नहर के शीघ्र मरम्मत कराये जाने की बात कही. कार्यपालक अभियंता ने ग्रामीणों के समक्ष जीर्णोद्धार कार्य में संवेदक द्वारा अनियमितता बरते जाने की बात स्वीकार की तथा जेइ के प्रतिवेदन के आधार पर अग्रेतर कार्रवाई करने की बात कही. इस आश्वासन के बाद करीब छह घंटे तक धरना पर बैठे लोगों ने धरना समाप्त किया.
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