जिले के कांडी प्रखंड के बेलहत गांव में गत चार दिनों की मूसलाधार बारिश ने सोन नदी और कान्हा पंडा नदी के तट पर बसे इस गांव के खेतों को जलमग्न कर दिया. गांव की लगभग एक हजार एकड़ भूमि पर लगी फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गयी हैं. इस तबाही ने न केवल किसानों की आजीविका पर गहरी चोट की है, बल्कि उनके भविष्य को लेकर एक गंभीर चिंता भी पैदा कर दी है. गांव के किसान अभिमन्यु कुमार, राणा रंजन सिंह, राजेश यादव, राणा दिर्गज सिंह एवं सुनील यादव ने बताया कि उनके खेतों में खड़ी मकई, तिल और धान की फसलें पानी में डूबकर पूरी तरह नष्ट हो गयी हैं. चार दिनों से उनके खेतों में पानी भरा हुआ है, जिससे फसलों के बचे रहने की कोई संभावना नहीं है. उन्होंने अपने खेतों में सालभर की मेहनत, संसाधन और पूंजी का निवेश किया था. अब वे देख रहे हैं कि उनकी मेहनत बाढ़ के पानी में बह गई है.इस बाढ़ के कारण जिन किसानों को नुकसान हुआ है, उनमें रामसेवक राम के दो एकड़, चंदन पासवान के दो एकड़, राणा रोहित सिंह के छह एकड़, राणा सुधीर सिंह के पांच एकड़, बासुदेव राम के दो एकड़, धर्मदेव राम के तीन एकड़, अभिमन्यु कुमार के पांच एकड़, रंजन सिंह के चार एकड़, और राजेश यादव के दो एकड़ खेत में लगी फसलें पूरी तरह से नष्ट हो चुकी हैं. इनके अलावा गांव के कई अन्य किसानों की भी यही हालत है. किसानों के मुताबिक यह बर्बादी केवल उनकी फसलों तक सीमित नहीं है, बल्कि उनके जीविकोपार्जन, बच्चों की पढ़ाई और भविष्य की योजनाओं पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पडोगा. किसानों के सामने अब एक बड़ी समस्या यह है कि वे अपनी आजीविका कैसे चलायें. जिन किसानों ने अपनी फसलों के लिए कर्ज लिया था, उनके लिए कर्ज चुकाना एक भारी बोझ बन गया है. कई किसानों का कहना है कि अगर उन्हें समय पर मदद और मुआवजा नहीं मिला, तो उनकी स्थिति बदतर हो जायेगी.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है