नारायण वन में पांच राज्यों से छठ पूजा करने पहुंचते हैं श्रद्धालु
नारायण वन में पांच राज्यों से छठ पूजा करने पहुंचते हैं श्रद्धालु
गढ़वा जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर उत्तर दिशा में स्थित केतार प्रखंड का नारायण वन सूर्य मंदिर की ख्याति झारखंड समेत बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश में भी है. इस वर्ष भी यहां कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से छठ महापर्व प्रारंभ हो रहा है. इसे लेकर प्रशासन के सहयोग से मंदिर विकास समिति ने जोर-शोर से मंदिर प्रांगण की साफ-सफाई, स्नान, पेयजल, लाइटिंग, डेकोरेशन, सीसीटीवी, पार्किंग, मेला तथा मेडिकल की व्यवस्था छठव्रतियों के साथ-साथ आम एवं वीआइपी अतिथियों के लिए की जा रही है.
कैसे बढ़ रही है ख्यातियहां सैकड़ो वर्ष पूर्व कृष्णानंद ब्रह्मचारी के स्वप्न में मुकुंदपुर पहाड़ों की तलहटी स्थित भूत गड़वा नामक स्थान पर जलकुंड के पास दो मूर्तियां दबे होने का स्वपन आया. इसके बाद ग्रामीणों के साथ ब्रह्मचारी जी वहां पहुंचे तथा खुदाई की. जहां से सूर्य की आकृति उभरी दो दिव्य पत्थर की मूर्तियां मिली. जिसे कुछ वर्षों तक लोग इस स्थान पर रखकर पूजा- अर्चना करने लगें. इसके बाद इसे सन 1955 में एक छोटे से चबूतरे पर उक्त दोनों मूर्तियों को स्थापित किया गया. बाद में जन सहयोग से एक छोटे से मंदिर में उक्त मूर्ति को अधिष्ठापित किया गया. आस-पास के इलाके में भगवान सूर्य के मंदिर नहीं होने के कारण तथा श्रद्धालुओं की बढ़ती श्रद्धा के कारण उक्त स्थान पर आस-पास के लोग छठ व्रत करने लगे. बाद में भूतगड़वा नामक स्थान को नारायण वन के नाम से जाना जाने लगा.
मिला पर्यटन स्थल का दर्जा : पहाड़ों की तलहटी में सुनसान जगह पर स्थित नारायण वन में छठ के दो दिन पूर्व से ही आकर्षक लाइटिंग एवं डेकोरेशन के कारण पूरा पहाड़ी क्षेत्र जगमगा उठता है. इसकी भव्यता एवं ख्याति को देखते हुए गत वर्ष झारखंड सरकार ने नारायण वन को पर्यटन स्थल का दर्जा दिया गया है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है