गढ़वा सदर अस्पताल परिसर में पीपीपी मोड में इस्काग संजीवनी प्राइवेट लिमिटेड कोलकाता की ओर से संचालित डायलिसिस यूनिट में फर्जी बिल निकासी का मामला सामने आया है. डायलिसिस यूनिट ने 150 फर्जी बिल बनाकर भुगतान लेने का प्रयास किया है. लेकिन फर्जी बिल निकासी के पूर्व ही मामला उजागर हो गया. अब सदर अस्पताल के उपाधीक्षक ने इस मामले की जांच के लिए चिकित्सा पदाधिकारी डॉ टी पीयूष की अध्यक्षता में दो सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है. कमेटी में सदर अस्पताल के लिपिक रेयाज अहमद भी शामिल हैं. मामला ऐसे उजागर हुआ : गढ़वा थाना क्षेत्र के चिरौंजिया गांव निवासी नकीब अख्तर की किडनी खराब है. सदर अस्पताल स्थित डायलिसिस यूनिट में उसका डायलिसिस होता है. लेकिन नकीब अख्तर 10 जून से 15 जुलाई 2024 तक किडनी के इलाज के लिए पीजीआई चंडीगढ़ चले गये थे. लेकिन सदर अस्पताल के डायलिसिस यूनिट में आयुष्मान भारत योजना के तहत उनका डायलिसिस होता दिखाया गया है. जिस दिन नकीब अख्तर अपना इलाज कराने चंडीगढ़ गये, उस दिन भी उनका डायलिसिस यूनिट में डायलिसिस किया जाना दिखाया गया है. दरअसल यूनिट संचालक ने फर्जी बिल बनाकर सदर अस्पताल के उपाधीक्षक के समक्ष प्रस्तुत किया है. इधर इस मामले को लेकर भवनाथपुर के विधायक भानु प्रताप शाही के विधायक प्रतिनिधि सतीश पाठक ने भी सिविल सर्जन को पत्र भेजकर कार्रवाई करने तथा कंपनी को काली सूची में डालने की मांग की है. पहले भी लगे हैं आरोप : विदित हो कि डायलिसिस यूनिट पर पहले भी मरीजों को कई तरह की सुविधाएं नहीं देने के आरोप लगते रहे हैं. जबकि एक वर्ष से खराब मशीन ठीक नहीं करा कर कंपनी सरकार के साथ हुए एमओयू को भी ठेंगा दिखा रही है. लेकिन इसके विरूद्ध किसी तरह की कार्रवाई नहीं हो रही है.
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