नगर व्यक्ति को अहंकार नहीं करना चाहिये. अहंकार बुद्धि और ज्ञान का हरण कर लेता है. अहंकार ही मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है. जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी थी, तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा था. उक्त बातें श्री बंशीधर मंदिर के खलिहान प्रांगण में श्री बंशीधर सूर्य मंदिर ट्रस्ट के तत्वावधान में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के अवसर पर आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत महापुराण कथा के प्रथम दिन वृन्दावन से आये आचार्य श्रीस्वामी पुण्डरीकाक्षाचार्य वेदांतीजी महाराज ने कही. उन्होंने भागवत महात्मा व सुखदेवजी महाराज के आगमन का वर्णन किया. कथा सुनने बड़ी संख्या में महिला-पुरुष श्रद्धालु भक्तगण उपस्थित थे. महाराज ने कहा कि भागवत कथा जीवन के समस्त कष्टों को हरने वाली, मन को शांति देने वाली और भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़े अदभुत लीलाओं का वर्णन करने वाली है. कथा के माध्यम से भक्तों को धर्म, भक्ति और ज्ञान का मार्ग प्रशस्त होता है. उन्होंने कहा कि सभी कथाओं में श्रीमद् भागवत कथा श्रेष्ठ है. इसके सुनने से मनुष्य बुराई त्यागकर धर्म के रास्ते पर चलने के साथ-साथ मोक्ष को प्राप्त होता है.
उपस्थित लोग : मौके पर नगरउंटारी अनुमंडलीय कोर्ट के एडीजे प्रथम मनोज त्रिपाठी, पूर्व विधायक अनंत प्रताप देव, एसडीपीओ सतेंद्र नारायण सिंह, सूर्य मंदिर ट्रस्ट के प्रधान ट्रस्टी राजेश प्रताप देव,राजेश पांडेय, धीरेंद्र चौबे, राम प्रसाद कमलापुरी, वीरेंद्र प्रसाद कमलापुरी, मनदीप कमलापुरी,मिक्की जायसवाल,नंदू लाल, सुजीत अग्रवाल, सुरेश विश्वकर्मा व मनीष जायसवाल उपस्थित थे.
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