हाथियों ने पांच घर तोड़े, 40 एकड़ में लगी फसल रौंदी
हाथियों ने पांच घर तोड़े, 40 एकड़ में लगी फसल रौंदी
छत्तीसगढ़ के रिजर्व एरिया से गढ़वा दक्षिणी वन क्षेत्र में पहुंचे हाथियों के झुंड ने अब बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है. करीब 35 हाथियों का यह झुंड 15 दिन पहले इस इलाके में आया है. चिनिया व रंका के विभिन्न क्षेत्रों में उत्पात मचाने के बाद हाथियों ने रमकंडा के बलिगढ़ व गोबरदाहा गांव में शुक्रवार की रात जमकर उत्पात मचाया. बलिगढ़ में हाथियों ने पांच घर तोड़ डाले तथा 20 किसानों के 30 एकड़ खेत में लगी धान व मकई की फसल बर्बाद कर दी. वहीं गोबरदाहा गांव में भी घरों को तोड़ते हुए आठ किसानों के 10 एकड़ में लगी फसलों को बर्बाद कर दिया. दूसरे दिन सुबह मामले की जानकारी लेने बलिगढ़ गांव पहुंचे वन विभाग के वाचर को आक्रोशित ग्रामीणों ने खरी-खोटी सुनाकर खदेड़ दिया. ग्रामीणों ने कहा कि वन विभाग जंगली जानवरों से हिफाजत की कोई कार्रवाई नहीं करता है. हाथियों से नुकसान की सूचना के बाद पंचायत के मुखिया बिनोद प्रसाद ने पीड़ितों के घर पहुंचकर मुआवजा दिलाने का आश्वासन दिया. ग्रामीण दुर्गा सिंह, श्रवण भुइयां, रोमन भुइयां, श्रीराम भुइयां, सरयू सिंह, गिरवर सिंह, अकलू भुइयां व चंद्रमणि देवी ने बताया कि रात करीब 10.35 बजे रंका के ढेंगुरा जंगल से 35 हाथियों का झुंड गांव पहुंचा. अचानक हाथियों के चिंघाड़ने की आवाज सुनकर ग्रामीण अपने घरों से भागकर एक पक्के मकान के छत पर चढ़कर टीन व थाली बजाने लगे. फिर टॉर्च जलाकर हाथियों के झुंड को भगाया. इसके बाद रात भर रतजगा करते रहे. ग्रामीणों की ओर से हाथियों को खदेड़ने के बाद हाथी खेतों की और लौटते समय फसलों को रौंदते हुए जंगलों की ओर निकल गये. ग्रामीणों ने बताया कि पहले हाथियों का उत्पात इस क्षेत्र में कभी-कभी ही होता था. लेकिन पिछले कुछ वर्षों से ग्रामीण लगातार दहशत में रहते हैं. धान की फसल पकने से पहले ही बर्बाद कर दी जाती है. वहीं बर्बाद की गयी फसलों के अनुरूप वन विभाग मुआवजा नहीं देता है. ग्रामीणों ने कहा कि वे लोग हाथियों के इस आतंक का स्थायी समाधान चाहते हैं. जिन किसानों के घर व फसल बर्बाद हुए बीती रात पहुंचे हाथियों के झुंड ने बलिगढ़ गांव निवासी गिरवर सिंह के घर को क्षतिग्रस्त कर दिया तथा एक क्विंटल चावल खा गये. इसी तरह श्रवण भुईया का घर भी तोड़ दिया. फिर करीब एक क्विंटल राशन का चावल खाने के बाद सुमंती देवी का घर भी क्षतिग्रस्त कर दिया. इसके अलावे देवंती देवी का घर तोड़कर हाथी एक क्विंटल चावल, गेहूं व मकई चट कर गये. इसी तरह गोबरदाहा गांव निवासी सुनील साव का घर भी हाथियों ने क्षतिग्रस्त कर दिया. फसलों की बर्बादी : गोबरदाहा गांव निवासी बिनोद कोरवा, मनोज कोरवा, बिगन कोरवा, मनतोस कोरवा, हरेंद्र कोरवा, रमाशंकर सिंह, अखिलेश्वर सिंह व चंद्रदेव सिंह के करीब 10 एकड़ में लगी मकई और धान की फसलों को रौंद दिया. इसी तरह बलिगढ़ गांव के विजय भुइयां, मनोज भुइयां, अनिल साव, आशीष साव, सुरेश सिंह, जयराम सिंह, सरजू सिंह, करण सिंह, मदन भुइयां, जयराम भुइयां, श्रीराम भुइयां, अनिल साव, श्रवण भुइयां, रोमन भुइयां, चंद्रमणि भुइयां, आशिष साव, सुरेश सिंह, गिरवर सिंह, मुनी देवी व अकलू भुइयां के करीब 30 एकड़ में लगी खरीफ फसलों को भी बर्बाद कर दिया. पत्नी की साड़ी जलाकर बचाई जान, तब भागे हाथी बलिगढ़ गांव निवासी गिरवर सिंह ने बताया कि चिंघाड़ते हुए हाथियों के झुंड के अचानक पहुंचने पर वे दोनों पति-पत्नी डर गये. इसी दौरान हाथी घर की छप्पर उखाड़ने लगे. घर से बाहर निकलने का कोई विकल्प न होने पर उन्होंने तत्काल पत्नी की साड़ी व बिस्तर जलाकर हाथियों को दिखाना शुरू किया. थोड़ी देर बाद हाथियों का झुंड दूसरी ओर चला गया. तब जाकर उनकी जान में जान आयी. इधर गांव की देवंती देवी ने बताया कि उसने दौड़कर अपनी जान बचायी. वहीं भागने के बाद हाथियों ने घर के अंदर रखा चावल, गेंहू, जौ एवं महुआ खा लिया. ग्रामीणों ने बताया कि गांव के बगल में जंगल किनारे बने तालाब में इन दिनों हाथियों का झुंड रोज शाम नहाने पहुंचता है. स्थायी समाधान को लेकर हो रहा काम : डीएफओ इस संबंध में पूछे जाने पर गढ़वा दक्षिणी वन क्षेत्र के डीएफओ इबिन अब्राहम ने कहा कि इस समस्या के स्थायी समाधान को लेकर काम हो रहा है. लेकिन यह एक लंबी प्रक्रिया है. इसके पहले हाथियों का उत्पात रोकने व बचाव सहित अन्य जानकारियों को लेकर जल्द ही गांव में बैठक कर जागरूकता अभियान चलाया जायेगा. उन्होंने बताया कि नुकसान के एवज में मुआवजा दिया जायेगा. वहीं इसकी प्रक्रिया तेज करने का निर्देश दिया गया है.
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