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जर्जर शेड या खुले आसमान में अपने कृषि उत्पाद बेचने को किसान मजबूर

जर्जर शेड या खुले आसमान में अपने कृषि उत्पाद बेचने को किसान मजबूर

डंडई गढ़वा जिला का दूसरा सबसे बड़ा सब्जी बाजार क्षेत्र है. यहां साप्ताहिक बाजार प्रत्येक बुधवार को लगाया जाता है. यहां कृषकों के लिए बनाया गया करीब 35 वर्ष पुराना शेड इन दिनों काफी जर्जर हालत में पहुंच गया है. इस कारण किसान खुले आसमान में सब्जी एवं अन्य उत्पाद बेचने को मजबूर हैं. जो लोग शेड के समीप या उसके अंदर दुकान लगाते हैं, वे हमेशा भयभीत रहते हैं कि कहीं कोई हादसा न हो जाये. इधर इस भीषण गरमी व लू के बीच लोग धूप से बचने के लिए अपनी दुकान इसी जर्जर शेड में लगाने को मजबूर हैं. इस संबंध में स्थानीय निवासी विवेकानंद कुशवाहा ने बताया कि डंडई, रारो व जरही हाट बाजार में करीब 35 साल पूर्व 12 शेड का निर्माण कराया गया था. अब इसकी हालत बिल्कुल जर्जर हो गयी है. शेड के मरम्मत कराने की जरूरत है. लेकिन संबंधित विभाग को इससे मतलब नहीं है. ग्रामीण उपेंद्र प्रजापति ने कहा कि किसान जर्जर शेड के नीचे डर-डर कर अपनी दुकान लगा रहे हैं. जनप्रतिनिधि भी इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. अपनी सब्जी लेकर बाजार पहुंचे भोला विश्वकर्मा ने कहा कि कई दशक पूर्व बाजार समिति में चार शेड बनाये गये थे. लेकिन बाजार आज बिल्कुल जर्जर अवस्था में है. समाजसेवी आकाशदीप भारती ने बताया कि डंडई बाजार समिति का शेड और चहारदीवारी के लिए झारखंड प्रदेश के कृषि मंत्री बादल पत्र को अवगत कराया गया है.

वर्ष 1914 से लग रहा है डंडई में हाट

बताया गया कि वर्ष 1914 में रंकाराज गिरवर प्रसाद सिंह ने किसानों के हित के लिए यहां बाजार लगाना शुरू किया था. यहां प्रतिदिन के अलावे साप्ताहिक हाट प्रत्येक बुधवार को लगता है. यहां तरह-तरह की सब्जी मंडी, मुर्गी व बकरी बाजार व बैल बाजार लगता है. यहां जिले के कई प्रखंड के लोग बाजार करने आते हैं. लेकिन विक्रेता किसानों के लिए एक अच्छा शेड भी नहीं है. इस संबंध में मुखिया धनवंती देवी ने कहा कि डंडई बाजार में शेड की अत्यंत आवश्यकता है. वह उपायुक्त तथा बाजार समिति के सचिव को अवगत कराते हुए शेड निर्माण की मांग करेंगी.

बाजार समिति के आय का स्रोत नहीं : उस संबंध में बाजार समिति के सचिव राहुल कुमार ने बताया कि बाजार समिति के आय का स्रोत पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है. नये कानून के तहत बाजार का कोई प्रावधान नहीं है. इस कारण बाजार समिति का शेड जर्जर हो गया है. वर्ष 2015 के बाद बाजार शुल्क समाप्त कर दिया गया है. राजस्व नहीं मिल रहा है. इस कारण शेड रिपेयरिंग या नया शेड का निर्माण नहीं कराया जा रहा है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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