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किसानों को हर वर्ष झेलनी पड़ती है प्रकृति की मार

वर्षों से प्राकृतिक आपदा की मार झेल रहा कांडी प्रखंड पर एक और आपदा सामने खड़ा हो गया है. विदित हो कि कांडी प्रखंड के सोन व कोयल नदी के तटीय इलाके में बसे किसानों की अक्सर नदियों की बाढ़ की पानी में डूब कर फसल नष्ट हो जाती है. यदि किसी साल बाढ़ से फसलें सुरक्षित बच जाती हैं, तो उनके समक्ष नीलगायों और बंदरों के आये झुंड से फसलों को बचाना चुनौती बन जाती है.

कांडी : वर्षों से प्राकृतिक आपदा की मार झेल रहा कांडी प्रखंड पर एक और आपदा सामने खड़ा हो गया है. विदित हो कि कांडी प्रखंड के सोन व कोयल नदी के तटीय इलाके में बसे किसानों की अक्सर नदियों की बाढ़ की पानी में डूब कर फसल नष्ट हो जाती है. यदि किसी साल बाढ़ से फसलें सुरक्षित बच जाती हैं, तो उनके समक्ष नीलगायों और बंदरों के आये झुंड से फसलों को बचाना चुनौती बन जाती है.

उनकी बड़ी मात्रा में फसलों को नीलगाय व बंदर नष्ट कर देते हैं. लेकिन इसके बावजूद किसान अपने कलेजे पर पत्थर रखकर फसल उगाने के लिए हिम्मत जुटा लेते हैं. इस साल इस समय किसानों को न तो सोन अथवा कोयल की बाढ़ से, न ही नीलगाय अथवा हनुमान के आतंक से खतरा उत्पन्न हुआ है. बल्कि इस बार इस इलाके में पहुंचे टिड्डियों के दल से किसानों के फसलों पर एक बार फिर खतरा मंडराने लगा है.

विदित हो कि गुरुवार से सोन तट पर बसे कांडी प्रखंड के गांव डुमरसोता, सड़की, सोनपुरा, बरवाडीह आदि में टिड्डियों का एक दल पहुंच गया है. टिड्डियों का यह दल इस समय तो सोन के बेसिन में लगे अकवन के पौधे के पत्तों को चट कर रहे हैं. लेकिन किसानों को भय है कि इसके बाद वे उनके खेतों में इस समय लगी अरहर, मक्का, तिल, धान आदि फसल को इसी तरह से निशाना बना सकते हैं.

यदि आशंका के मुताबिक टिड्डी दल आगे बढ़ता है, तो किसानों की कमर ही टूट जायेगी. किसानों को आशंका है कि ये वहीं टिड्डी दल है, तो अफगानिस्तान और पाकिस्तान से होकर राजस्थान के रास्ते भारत में प्रवेश किये हैं. इनके आतंक के विषय में पहले से ही चर्चा हो रही थी. यद्यपि अभीतक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि सोन के तटीय इलाके में देखे जा रहे टिड्डी दल वही हैं अथवा कोई दूसरा टिड्डी दल है. लेकिन यदि वहीं टिड्डी दल हैं जिसके विषय में पहले से चेतावनी जारी की गयी है तो इस इलाके के किसान आर्थिक रूप से बर्बाद हो जायेंगे. क्योंकि किसानों के पास इस समय इन टिड्डियों को रोकने के लिये कोई उपाय नहीं है. किसानों की सारी लहलहाती भदई व खरीफ की फसलें इन टिड्डियों की भेंट चढ़ जायेंगी.

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