अत्याचार, अनाचार व पाप की पराकाष्ठा पर ईश्वर अवतरित होते हैं : प्रपन्नाचार्य
अत्याचार, अनाचार व पाप की पराकाष्ठा पर ईश्वर अवतरित होते हैं : प्रपन्नाचार्य
रामकथा आयोजन समिति नरगिर आश्रम द्वारा आयोजित नौ दिवसीय रामकथा के पांचवे दिन संत बालस्वामी प्रपन्नाचार्य ने निराकार ब्रह्र के सदगुण रूप में प्रकट होने के कारणों का विवरण रोचक ढंग से प्रस्तुत किया. जब-जब धरती पर अत्याचार, अनाचार व पाप पराकाष्ठा पर पहुंच जाता है, तब-तब धर्म की स्थापना के लिए ईश्वर अवतरित होते हैं. भगवान विष्णु के त्रेता में अवतार लेने के पीछे कई कारण थे. सतयुग के बाद त्रेता दूसरा युग था. इसमें अधर्म का नाश करने के लिए भगवान विष्णु ने तीन अवतार लिये थे. जो क्रमशः वामन अवतार, परशुराम अवतार और श्रीराम अवतार के नाम से प्रसिद्ध हैं.
मैं राम के रूप में अवतार लूंगा : सृष्टि के प्रथम पुरुष व स्त्री मनु तथा शतरूपा ने भगवान को पुत्र रूप में पाने का वरदान मांगा था. भगवान विष्णु ने उन्हें उनकी इच्छानुसार आशीर्वाद दिया. उन्होंने कहा, मनु भविष्य के जन्म में अयोध्यापुरी के राजा दशरथ बनोगे और रानी शतरूपा कौशल्या. वहीं मैं राम के रूप में अवतार लूंगा. तुम्हारे चार पुत्र होंगे.
वृंदा ने श्री हरि को पत्थर बनने का श्राप दिया : असुर जालंधर के नही मरने के पीछे उसकी पत्नी वृंदा का सतीत्व आड़े आ रहा था. भगवान विष्णु ने देवताओं के कल्याण के लिए जालंधर का रूप धर कर वृंदा का सतीत्व भंग किया. जब वृंदा को पता चला कि उसके साथ छल किया गया है, तो वह क्रोध से भर गयी और उसने भगवान विष्णु को श्राप दे दिया. वृंदा ने श्री हरि को पत्थर बनने का श्राप दिया, जिसे भगवान विष्णु ने स्वीकार कर लिया और वह एक पत्थर का रूप हो गये.भक्त नारद को बंदर का रूप दे दिया : अपने भक्त नारद की भलाई के लिए भगवान विष्णु ने उन्हें बंदर का मुंह दे दिया और खुद स्वयंवर में पहुंचकर राजकुमारी को ब्याह कर ले गये. नारद जी न जैसे ही अपना मुंह पानी में देखा, तो वह क्रोधित हो उठे और विष्णु को शाप दिया कि उन्हें भी पत्नी वियोग मे तड़पना पड़ेगा. भगवान श्रीराम का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को कर्क लग्न और पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ था. उन्होंने कहा कि कथा सुनने से सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है. कथा जीवन की व्यथा मिटाती है. इस अवसर पर श्री राम जी के जन्म के उपलक्ष्य में अशोक केशरी एवं वीणा केशरी ने 51 किलो लड्डू प्रसाद के रूप में वितरित किया.