Guru Purnima 2020: कोरोना महामारी को लेकर सुरक्षा के दृष्टिकोण से घर से ही श्रद्धालु करेंगे पूजा-अर्चना

कोरोना महामारी की छाया अन्य धार्मिक आयोजनों की तरह इस साल गुरु पूर्णिमा पर भी पड़ रहा है. इस कारण श्रद्धालुओं में काफी उदासी दिख रही है. विदित हो कि सनातन संस्कृति में प्राचीन काल से गुरु-शिष्य परंपरा रही है. इस परंपरा में गुरु पूर्णिमा का बहुत बड़ा महत्व है. इसलिए सभी आध्यात्मिक संस्थाओं द्वारा गुरु पूर्णिमा पर्व को काफी धूमधाम से मनाया जाता है.

By Prabhat Khabar News Desk | July 5, 2020 2:10 AM
  • सभी धार्मिक स्थलों, शक्तिपीठों पर मात्र प्रतीकात्मक कार्यक्रम होंगे

  • सभी धार्मिक स्थलों, शक्तिपीठों पर मात्र प्रतीकात्मक कार्यक्रम होंगे

  • धार्मिक स्थलों पर भीड़ की जगह रहेगा सन्नाटा

गढ़वा : कोरोना महामारी की छाया अन्य धार्मिक आयोजनों की तरह इस साल गुरु पूर्णिमा पर भी पड़ रहा है. इस कारण श्रद्धालुओं में काफी उदासी दिख रही है. विदित हो कि सनातन संस्कृति में प्राचीन काल से गुरु-शिष्य परंपरा रही है. इस परंपरा में गुरु पूर्णिमा का बहुत बड़ा महत्व है. इसलिए सभी आध्यात्मिक संस्थाओं द्वारा गुरु पूर्णिमा पर्व को काफी धूमधाम से मनाया जाता है.

बड़ी संख्या में महिला-पुरुष गुरु पूर्णिमा पर्व के उत्सव में शामिल होते हैं. अनेक शैक्षणिक संस्थानों में भी विद्यार्थियों ने गुरु के सम्मान में इस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित होते रहे हैं. लेकिन इस वर्ष पहला ऐसा अवसर होगा, जब गुरु पूर्णिमा पर कहीं भी कोई बड़े कार्यक्रम आयोजित नहीं किये जायेंगे. कोरोना महामारी को लेकर सुरक्षा के दृष्टिकोण से सरकार ने ऐसे सभी धार्मिक आयोजनों को निषेध कर रखा है.

चूंकि भीड़ जुटनेवाले कार्यक्रमों में मास्क का उपयोग व सामाजिक दूरी का पालन सुनिश्चित कराना संभव नहीं हो पाता है. इसको देखते हुए गुरु पूर्णिमा पर किसी भी धार्मिक संगठन द्वारा अन्य जगहों की तरह गढ़वा जिले में भी कहीं कोई भी सामूहिक कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया जा रहा है. इसके बजाय सरकार के निर्देशों का पालन करते हुए सभी मंदिरों, धार्मिक केंद्रों, शिक्षण संस्थानों में प्रतीकात्मक रूप से ही सभी जगह कार्यक्रम आयोजित करने का फैसला लिया गया है. सभी शिष्य अपने घरों में ही परिवार के बीच गुरु पूर्णिमा पर कार्यक्रम आयोजित करेंगे.

दरअसल सनातन संस्कृति में शिष्यों का गुरु पूर्णिमा अपने गुरु के प्रति समर्पण का दिन होता है. वे अपने गुरु के प्रति गुरुदीक्षा के समय लिये गये संकल्पों को याद करते हैं और उस दिशा में आगे बढ़ने के लिए संकल्प लेते हैं. इस क्रम में साधकों द्वारा अपने गुरु से आशीर्वाद पाने के लिए विशेष जप, ध्यान, यज्ञ आदि का आयोजन किया जाता है. सामूहिक कार्यक्रम में सामूहिक साधना और यज्ञ का आयोजन होता रहा है. लेकिन इस बार यह कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं हो रहे हैं. जो भी कार्यक्रम होंगे, संक्षिप्त कार्यक्रम होंगे. इस कारण सभी मंदिरों/शक्तिपीठों में साधकों की भीड़ होने की जगह सन्नाटा पसरा रहेगा. यह पहली बार होगा कि इस बार गुरु पूर्णिमा पर उल्लास की जगह सन्नाटा देखने को मिलेगा.

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