खबर का असर : रक्शी गांव के कालीन बुनकरों की ली गयी सुध
धुरकी कालीन उद्योग को विकसित कर 60 युवकों को रोजगार दे रहे हैं करीमन नामक शीर्षक से 12 सितंबर को प्रभात खबर में प्रकाशित खबर के बाद बीडीओ रंजीत कुमार सिन्हा ने पहल करते हुए लघु कुटीर उद्योग के प्रखंड समन्वयक प्रवीण मिश्रा को रक्सी गांव भेज कर कालीन बुनकरों का सर्वे शुरू कराया है.
धुरकी : धुरकी कालीन उद्योग को विकसित कर 60 युवकों को रोजगार दे रहे हैं करीमन नामक शीर्षक से 12 सितंबर को प्रभात खबर में प्रकाशित खबर के बाद बीडीओ रंजीत कुमार सिन्हा ने पहल करते हुए लघु कुटीर उद्योग के प्रखंड समन्वयक प्रवीण मिश्रा को रक्सी गांव भेज कर कालीन बुनकरों का सर्वे शुरू कराया है.
इस दौरान प्रखंड समन्वयक ने करीमन प्रजापति व उसके पुत्र सहयोगी शिक्षक संतोष प्रजापति से संपर्क कर रक्सी पंचायत का सर्वे किया. इस दौरान रक्सी पंचायत के कुल 590 कालीन बुनकरों का नाम जोड़ते हुए सीडी तैयार किया गया. जिसमें इस काम से जुड़े 150 महिला का भी नाम शामिल है. इधर बीडीओ रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि लघु कुटीर उद्योग के माध्यम से लोगों को लाभ पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है.
इसके लिए प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी को भी निर्देश दिया गया है कि कालीन बुनकरों का एक समूह का गठन कर एक प्रस्ताव तैयार करें और इनके उद्योग को विकसित करने के लिए प्रक्रिया कर प्रखंड कार्यालय को उपलब्ध करायें जिससे गढ़वा उपायुक्त को भेजकर इनके रोजगार के बढ़ावा देने को लेकर नाबार्ड से जोड़कर लाभ दिलाया जा सके.
विदित हो कि करीमन इस कोरोना कॉल में अपने गांव में ही घर पर तिरपाल डालकर कालीन बुनने का कार्य करा रहे हैं इसमें गांव के 60 युवकों को रोजगार देकर जहां खुद को स्वावलंबी बन रहे हैं, वहीं गांव के कालीन बुनने वाले हुनरमंद युवकों को भी स्वावलंबी बनाने का काम कर रहे हैं. करीमन का कहना है कि हमारे पास पूंजी का अभाव है.
इस कारण अपने काम को और आगे नहीं बढ़ा पा रहे हैं. अगर हमारे पास पूंजी हो, तो गांव में हम और लोगों को रोजगार दे सकते हैं. वर्तमान में 150 लोगों को रोजगार देने की व्यवस्था हमारे पास है लेकिन पूंजी का अभाव है.
Post By : Pritish Sahay