8.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सामुदायिक वन संसाधनों पर हक के लिए संघर्ष तेज करें

सामुदायिक वन संसाधनों पर हक के लिए संघर्ष तेज करें

बड़गड़. सामुदायिक वन संसाधनों पर ग्राम सभाओं का सदियों से मालिकाना हक रहा है. गांव के लोग वन संसाधनों की संरक्षा, पुनर्जीवित करने, परिरक्षित करने तथा प्रबंधन करते आ रहे हैं. यही वजह रही है कि भारत सरकार ने अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम की धारा 3 (1) (झ) में पारंपरिक रूप संरक्षण और परिरक्षण करने का अधिकार दिया है. लेकिन गढ़वा जिला प्रशासन ने 56 ग्राम सभाओं को एक साजिश के तहत निर्गत पट्टे में प्रबंधन के अधिकार से वंचित रखा है. उक्त बातें जेम्स हेरेंज ने 7 प्रखण्डों से शामिल पारंपरिक अगुओं के बैठक में कही. उक्त बैठक बड़गड़ प्रखण्ड के गड़िया गांव में वन अधिकार संघ के बैनर तले आयोजित की गई. सुनील मिंज ने कहा कि पारंपरिक गांव सभा को कानून ने अब गांव सरकार का दर्जा प्रदान किया है. ग्राम सभा को पेसा अधिनियम 1996 के तहत असीमित अधिकार दिए गए हैं. समाजिक कार्यकर्ता कविता सिंह खरवार ने हाल के दिनों में वन विभाग के द्वारा वृक्षारोपण के नाम पर ट्रेंच खुदाई, पीट खुदाई जैसे कार्यों का विरोध करने की अपील की. बैठक में माणिक चन्द कोरवा, मनराखन सिंह, बिश्राम बाखला, फिरोज लकड़ा, आरगेन केरकेट्टा,प्रदीप मिंज,अरुण सिंह, जमौती के रामप्रसाद, शिवकुमार सिंह व प्रदीप मिंज आदि शामिल थे. सभा की अध्यक्षता एवं संचालन गड़िया वन अधिकार समिति के पृथ्वी टोप्पो ने की.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें