ठेकेदारों को श्रम विभाग से लेबर लाइसेंस लेना है अनिवार्य

ठेकेदारों को श्रम विभाग से लेबर लाइसेंस लेना है अनिवार्य

By Prabhat Khabar News Desk | July 11, 2024 9:05 PM

श्रम विभाग की ओर से गढ़वा समाहरणालय के सभागार में झारखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार (नियोजन एवं सेवा शर्त विनियमन) अधिनियम-1996 के तहत स्थापना के निबंधन के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसमें गढ़वा जिले के सभी कार्यपालक अभियंता, नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी, नगर पंचायत मझिआंव तथा नगरउंटारी (बंशीधर) के कार्यपालक पदाधिकारियों ने भाग लिया. कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रम अधीक्षक एतवारी महतो ने की. मौके पर ठेका मजदूरी अधिनियम की जानकारी दी गयी. कहा गया कि इसके तहत सभी संवेदकों व अभिकर्ताओं को सरकारी विभागों से कार्य आवंटन होने के बाद श्रम विभाग से लेबर लाइसेंस लेना अनिवार्य है. संवेदकों को सरकारी विभाग से कार्य आवंटन होने के बाद प्रत्येक कार्य के लिए अलग-अलग लेबर लाइसेंस लेना है. भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण अधिनियम-1996 की धारा -सात के तहत सरकारी विभागों से प्रत्येक संवेदकों को कार्य आदेश निर्गत होने के बाद स्थापना का निबंधन श्रम विभाग में कराया जाना है.

निर्माण शुरू होने के 60 दिनों में निबंधन जरूरी : श्रम अधीक्षक श्री महतो ने उपस्थित सभी अभियंताओं तथा कार्यपालक पदाधिकारियों को बताया कि ठेका मजदूरी (विनियमन) अधिनियम के अधीन ठेका लाइसेंस लेने एवं झारखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार (नियोजन एवं सेवाशर्त विनियमन) अधिनियम-1996 के तहत प्रत्येक नियोक्ताओं को निर्माण कार्य प्रारंभ करने के 60 दिनों के अंदर निबंधन कराना अनिवार्य है. वहीं धारा-12 के अनुसार प्रत्येक कामगार को, जिसकी आयु 18 से 59 वर्ष हो तथा जिसने गत वर्षों में कम से कम 90 दिनों तक भवन एवं अन्य सन्निर्माण में कार्य किया हो, उसे निबंधन कराना है.

संवेदक प्रतिष्ठान का निबंधन नहीं कराते : श्रम अधीक्षक के अनुसार देखा जा रहा है कि कुछ संवेदक ऐसे हैं, जिनके द्वारा ठेका लाइसेंस तो प्राप्त कर लिया जाता है, किंतु प्रतिष्ठान का निबंध उनके द्वारा नहीं कराया जाता है, यह श्रम अधिनियम का उल्लंघन है. श्रम अधीक्षक श्री महतो ने सभी कार्यपालक अभियंताओं तथा पदाधिकारियों से कहा कि वे अपने अधीनस्थ नियोजित संवेदक, जिन्हें एक वर्ष के अंदर ठेका कार्य आवंटित किया गया है या किया जाना है. उन्हें निबंधन कराने का निर्देश दें. अन्यथा मुख्य नियोजन एवं उनके संवेदक के विरुद्ध उपरोक्त अधिनियमों के अंतर्गत कानूनी कार्रवाई की जायेगी.

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