Jagannath Rath Yatra 2020 : रंका के ठाकुरबाड़ी मंदिर में महाप्रभु की हुई आराधना, रथयात्रा नहीं निकलने से मायूस हुए श्रद्धालु
Jagannath Rath Yatra 2020 : कोरोना वायरस संकट (Coronavirus crisis) के मद्देनजर रंका के ठाकुरबाड़ी मंदिर से इस वर्ष भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा नहीं निकाली गयी. राज्य सरकार की ओर से रथयात्रा की अनुमति नहीं मिलने के कारण इस बार रथयात्रा नहीं निकाली गयी. मंदिर परिसर में ही पूजा-अर्चना की गयी.
Jagannath Rath Yatra 2020 : गढ़वा : कोरोना वायरस संकट (Coronavirus crisis) के मद्देनजर रंका के ठाकुरबाड़ी मंदिर से इस वर्ष भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा नहीं निकाली गयी. राज्य सरकार की ओर से रथयात्रा की अनुमति नहीं मिलने के कारण इस बार रथयात्रा नहीं निकाली गयी. मंदिर परिसर में ही पूजा-अर्चना की गयी. 335 साल में पहली बार ऐतिहसिक भगवान जगन्नाथ का रथयात्रा नहीं निकाली गयी. रथयात्रा नहीं निकलने से सैकड़ों श्रद्धालु काफी मायूस दिखें.
भगवान जगन्नाथ, भाई बलराम और बहन सुभद्रा को 15 दिन तक अज्ञातवास में रहने के बाद सोमवार (22 जून, 2020) को पट्ट खुला. पूजा- अर्चना के बाद महाआरती की गयी. वहीं, मंगलवार (23 जून, 2020) को रथयात्रा निकाली जानी थी, लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए राज्य सरकार की ओर से रथयात्रा के आयोजन पर रोक लगायी है.
रथयात्रा के अवसर पर ठाकुरबाड़ी मंदिर में ही सिंहासन पर विराजमान भगवान जगन्नाथ, भाई बलराम और बहन सुभद्रा की परंपरा के अनुसार विधि- विधान के साथ पूजा- अर्चना की गयी. मंदिर के पुजारी बालेश्वर दुबे, पंडित देवेंद्र पाठक, सत्यनारायण ओझा, भोलानाथ पांडेय द्वारा धार्मिक अनुष्ठान किया गया. महाआरती कर गयी. 56 भोग लगाया गया.
राजा कुमार गोवर्द्धन प्रसाद सिंह, कुमार गुलाब सिंह और कुमार गौरव सिंह ने भगवान जगन्नाथ, भाई बलराम और बहन सुभद्रा की परंपरागत पूजा- अर्चना किये. राजा कुमार गोवर्धन प्रसाद सिंह ने बताया कि कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण रथयात्रा निकालने की अनुमति नहीं मिली. इस कारण भगवान जगन्नाथ के रथयात्रा की पूरी प्रक्रिया ठाकुरबाड़ी मंदिर में ही किया जायेगा.
भगवान 8 दिनों तक अपनी मौसी के घर रहते थे. वहां भी सारी प्रक्रिया मंदिर परिसर में ही होगा. रथयात्रा के दिन भगवान का नगर भ्रमण कराया जाता था. श्रद्धालु अपने- अपने दरवाजे के पास महाप्रभु का पूजा- अर्चना करते थे. नगर भ्रमण के बाद ठाकुरबाड़ी मंदिर से बड़े धूमधाम से रथयात्रा निकाली जाती थी. सैकड़ों श्रद्धालु रथयात्रा में शामिल होकर रथ को खींचते थे.
Also Read: ओलिंपिक के चैंपियन: ओलिंपिक दिवस पर पढ़िए गोल्डेन हिस्ट्री
रथयात्रा की शुरुआत वैदिक मंत्रोचार के साथ भगवान जगन्नाथ की विधिवत पूजा- अर्चना होती थी. इसके बाद लाल कपड़े में लिपटे देव- विग्रह को उच्चे रथ पर चढ़ाया जाता था. फिर भगवान जगन्नाथ के जयकारे के साथ रथयात्रा की शुरुआत होती है. श्रद्धालुओं को रथ खींच कर भगवान जगन्नाथ को उनकी मौसी के घर पहुंचाया जाता है. भगवान जगन्नाथ अपनी मौसी के घर 8 दिनों तक रहते हैं. 8 दिनों तक मौसी के घर रहने के बाद भगवान जगन्नाथ, भाई बलराम और बहन सुभद्रा अपने घर ठाकुरबाड़ी मंदिर लौट आते हैं. इस तरह रथयात्रा की प्रक्रिया पूरी की जाती है.
राजा कुमार गोवर्द्धन प्रसाद सिंह ने बताया कि रथयात्रा निकलने से पहले 24 घंटा का अखंड – कीर्तन होता है. इस साल सब कुछ बंद है. बुधवार (24 जून, 2020) से आचार्य भोलानाथ पांडेय द्वारा श्रीमद भागवत पाठ का आयोजन किया जायेगा.
Posted By : Samir ranjan.