पलामू लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी की होड़ में शामिल नेता तेजी से दल बदल रहे हैं. पाला बदलने से उनके समर्थक भी आश्चर्यचकित हैं. वहीं हर चौक-चौराहों पर नेताओं के तेजी से पार्टी बदलने को लेकर चर्चा हो रही है. लेकिन वे अपने कार्यकर्ताओं, समर्थकों अथवा आम लोगों की भावनाओं की परवाह किये बगैर लोकसभा चुनाव में टिकट की आस में हांफ रहे हैं. इसके लिए वे किसी भी दल में शामिल होने तथा दल बदलने के लिए तैयार हैं. उन्हें किसी से कोई परहेज नहीं है, बस उक्त पार्टी का टिकट मिल जाना चाहिए. उन्हें चुनाव लड़कर देश सेवा जो करनी है. हाल के दिनों में पार्टी बदलनेवाले नेताओं की फेहरिस्त लंबी है. लेकिन इस संदर्भ में दो नेताओं की चर्चा अधिक है. इनमें पूर्व सांसद कामेश्वर बैठा और पूर्व मंत्री गिरिनाथ सिंह शामिल हैं. ये दोनों नेता किसी भी सूरत में लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं. कामेश्वर बैठा पलामू से और गिरिनाथ सिंह चतरा से चुनाव लड़ने के लिए हर जुगत भिड़ा रहे हैं. दोनों विचारधारा की परवाह किये बगैर विभिन्न दल के नेताओं से संपर्क साधने में जुटे हैं.
अब गिरिनाथ बार-बार बदल रहे हैं दल : एकीकृत बिहार व झारखंड में चार बार विधायक और दो बार मंत्री रहे गिरिनाथ सिंह भी अब बार-बार दल बदल रहे हैं. इस समय वह लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए एक ऐसे दल की तलाश मेंं हैं, जो उन्हें अपने सिंबल पर वह चुनाव लड़ने दे. कभी जनसंघ और भाजपा से जुड़े गिरिनाथ सिंह ने वर्ष 1993 के उप चुनाव में पहली बार एकीकृत बिहार में बतौर राजद प्रत्याशी गढ़वा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीता था. इसके बाद वह लगातार वर्ष 1995, 2000 और 2005 में राजद के टिकट पर चुनाव जीतते रहे. लेकिन इसके बाद वह वर्ष 2009 और 2014 का विधानसभा चुनाव हार गये. फिर वर्ष 2019 के चुनाव के पूर्व वह भाजपा में शामिल हो गये. लेकिन भाजपा के सीटिंग विधायक सत्येेंद्र नाथ तिवारी के कारण उन्हें गढ़वा विधानसभा सीट से टिकट नहीं मिला. इसके बाद उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा. यद्यपि उन्हें तब हुसैनाबाद से टिकट दिये जाने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन अंतिम समय में उनका टिकट कट गया था. इसके बावजूद श्री सिंह भाजपा में बने रहे.
वर्तमान लोकसभा चुनाव में गिरिनाथ सिंह चतरा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की मजबूती से पहल की. वह इसकी तैयारी भी काफी पहले से कर रहे थे, लेकिन भाजपा ने उन्हें चतरा से अपना प्रत्याशी नहीं बनाया. इससे श्री सिंह ने बिना देर किये भाजपा को टाटा करते हुए फिर से अपने पुराने दल राजद की सदस्यता ग्रहण कर ली. लेकिन राजद में शामिल होने के बाद चतरा की सीट गठबंधन में फंस गयी. चतरा से इंडिया गठबंधन में कांग्रेस को सीट मिल गयी. इससे गिरिनाथ सिंह को बड़ा झटका लगा.अब बसपा के संपर्क में होने की चर्चा : यद्यपि उन्होंने बात बनाने के लिए कांग्रेस के दिल्ली कार्यालय तक प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली. अब चर्चा है कि गिरिनाथ सिंह बसपा के संपर्क में हैं. इस प्रकार इतनी तेजी से दल बदल की खबर से गिरिनाथ सिंह के समर्थक भी हैरान- परेशान दिख रहे हैं. पूछने पर वे कुछ भी बताने में असमर्थता जता रहे हैं.
पूर्व सांसद घुरन राम ने राजद छोड़ा : लोकसभा चुनाव को लेकर अन्य कई नेताओं ने भी पाला बदला. किंतु सफलता नहीं मिलने पर वे उसी दल में रूक गये. पूर्व सांसद घुरन राम ऐसे ही नेता हैं. वह राजद से लोकसभा सदस्य रहे हैं. लेकिन वर्ष 2009 में चुनाव हार जाने के बाद उन्होंने वर्ष 2014 में झारखंड विकास मोर्चा के सिंबल पर पलामू सीट से चुनाव लड़ा और 1,56,832 मत लाकर हार गये. इसके बाद वह फिर राजद में वापस लौट गये. वर्ष 2024 का चुनाव राजद से ही लड़ने का उन्होंने प्रयास किया. लेकिन जब उन्हें टिकट मिलने में संदेह हुआ, तो ठीक चुनाव की घोषणा से पहले वह राजद छोड़ भाजपा में शामिल हो गये. भाजपा में शामिल होने के बाद उन्होंने पलामू सीट से टिकट के लिए काफी प्रयास किया, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. यद्यपि इसके बाद वह भाजपा में बने हुए हैं.