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बाजार समिति में प्रतिमाह 30 करोड़ का कारोबार, पर सुविधाएं नदारद

गढ़वा का बाजार समिति से समीपवर्ती राज्य छतीसगढ़ यूपी एवं बिहार के व्यापारी भी पहुंचते हैं. यहां बड़े पैमाने पर कई राज्यों से प्रतिदिन दर्जनों ट्रक आलू, फल और अनाज का आवक होता है

जितेंद्र सिंह, गढ़वा :

गढ़वा कृषि उत्पादन बाजार समिति में प्रतिदिन लगभग एक करोड़ रुपये का कारोबार होता है. पर यहां व्यापारियों के लिए बुनियादी सुविधाएं भी नहीं हैं. परिसर के बड़े-बड़े गड्ढों में आये दिन लोग दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं. पर बाजार समिति प्रबंधन को इससे कोई लेना-देना नहीं है. जो बाजार समिति कभी अन्य क्षेत्रों में विकास कार्य व सुविधाओं का विस्तार करता था. जो दूसरों को फंड उपलब्ध कराता था, आज उसकी खुद की स्थिति खस्ता हाल है. दुकानें और गोदाम जर्जर हो चुके हैं. सड़कें कीचड़ में तब्दील हो चुकी है. यहां आने वाले किसान इसी स्थिति में अपने उत्पाद लेकर बैठने को मजबूर हैं.

प्रतिदिन होता है एक करोड़ का कारोबार :

बाजार समिति में फल, सब्जी, अनाज व किराने के सामानों का प्रतिदिन एक करोड़ रुपये का करोबार होता है. बताते चलें कि गढ़वा का बाजार समिति से समीपवर्ती राज्य छतीसगढ़ यूपी एवं बिहार के व्यापारी भी पहुंचते हैं. यहां बड़े पैमाने पर कई राज्यों से प्रतिदिन दर्जनों ट्रक आलू, फल और अनाज का आवक होता है. यहां से आस-पास के बाजारों के अलावे समीपवर्ती राज्यों में भी सामान पहुंचता है. लेकिन व्यापारियों को सुविधा के नाम पर कुछ नहीं मिलता तथा उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

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वर्षों से नहीं हुई मरम्मत :

कृषि उत्पादन बाजार समिति परिसर में भवन, गोदाम व दुकान जर्जर स्थिति में हैं. वर्षों से इनकी मरम्मत न होने से कई भवन गिरने की स्थिति में पहुंच गये हैं. सड़कों की स्थिति भी बदतर है. सड़क की जगह कीचड़ ने ले ली है. किसान अपने उत्पाद लेकर यहीं बैठने को मजबूर हैं. ग्राहक, व्यापारी, किसान सबको परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. बोर्ड द्वारा फंड उपलब्ध नहीं कराये जाने के कारण परिसर की यह स्थिति हो गयी है.

पहले प्रतिवर्ष 3.5 करोड़ रु की होती थी आमदनी :

कृषि उत्पादन बाजार समिति परिसर में कुल 24 गोदाम व 150 दुकानें हैं. इनमें से ज्यादातर की स्थिति जर्जर है. साफ सफाई की समुचित व्यवस्था न होने से परिसर में आने वालों को बहुत परेशानी होती है. मालूम हो कि जिले के कुल 38 हाट बाजारों की बंदोबस्ती से बाजार समिति को प्रतिवर्ष 3.5 करेाड़ रुपये की आमदनी होती थी, जो अब पूरी तरह से बंद हो गयी है. इधर अब इस मामले में कृषि उत्पादन बाजार समिति के पणन सचिव से बाजार परिसर में सुविधाओं, विकास, कमियां, क्षेत्रफल व आवश्यकता के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट की मांग की गयी है.

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