स्वास्थ्य विभाग ने सोमवार को स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के सामने संचालित सात मेडिकल दुकान और पैथोलॉजी जांच घरों में छापेमारी की गयी. अभियान चलाकर बगैर कागजात और रजिस्ट्रेशन के दुकान चला रहे संचालकों को दुकानें बंद करने का आदेश दिया गया था. लेकिन कुछ घंटे बाद ही अवैध मेडिकल और पैथोलॉजी जांच घर फिर से पूर्ववत खुल गये. इधर स्थानीय लोग इसपर मेडिकल और पैथोलॉजी जांच घरों के संचालकों और स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत का आरोप लगा रहे हैं. विदित हो कि गढ़वा सिविल सर्जन डॉ अशोक कुमार के आदेश पर सीएचसी प्रभारी डॉ दिनेश कुमार ने बीते 10 सितंबर को सीएचसी के सामने संचालित हो रहे आधा दर्जन से अधिक मेडिकल दुकान और पैथोलॉजी जांच घरों की जांच की थी. इसमें कई दुकानदारों ने दुकान संचालन का कोई कागजात और रजिस्ट्रेशन नहीं होने की बात कही थी. जबकि कई दुकानदार अपनी दुकानों के शटर गिराकर फरार हो गये थे. इसके बाद चिकित्सा प्रभारी ने मेडिकल और पैथोलॉजी संचालकों को बगैर कागजात और रजिस्ट्रेशन कराये दुकान बंद करने का आदेश दिया था. लेकिन इस आदेश का कोई असर नहीं देखा गया. आदेश के कुछ ही घंटे बाद दुकानदारों ने दुकान खोल लिये. तब चिकित्सा प्रभारी ने अस्पताल का गार्ड भेजकर खुली दुकानों को दोबारा बंद करवाया था. वहीं इस दौरान एक मेडिकल व पैथोलॉजी संचालक के फर्जी कागजात पर दुकान संचालन को लेकर पुलिस के सुपुर्द किया था. इतना सब होने के बाद भी अवैध रूप से संचालित दवा दुकान और पैथोलॉजी सेंटर संचालक पर कोई असर नहीं हुआ और दुकान पूर्व की तरह खोल रहें हैं. गौरतलब है कि एक माह पूर्व भी सिविल सर्जन ने भवनाथपुर क्षेत्र में ही मेडिकल दुकान सह जांच घर में छापामारी की थी. छापेमारी के दौरान उक्त मेडिकल दुकान में मरीजों की जांच करने तथा मरीजों को इलाज करने का प्रमाण मिला था.
फिर कार्रवाई की जायेगी : चिकित्सा प्रभारी
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