गढ़वा : गढ़वा थाना क्षेत्र के फरठिया गांव के 13 साल एक नाबालिग आदिवासी बच्चे के गायब होने के दो साल बाद उसे मध्य प्रदेश के होशंगाबाद से रेस्क्यू किया गया. उसे वहां के एक ढाबा में बंधक बनाकर काम लिया जा रहा था़. इस मामले में बचपन बचाओ आंदोलन की शिकायत पर होशंगाबाद जिले के डोलरिया थाने में बंधुआ मजदूरी क़ानून की धारा 16, अनुसूचित जाति एवं जनजाति ( नृशंसता निवारण) अधिनियम की धारा तीन (1)(एच) एवं 3(2)(वीए), भादवि की धारा 323, 344,506, जेजे एक्ट की धारा 33, 34, 75, 79 और बाल एवं किशोर श्रम ( प्रतिषेध और विनियमन) क़ानून 14 के तहत प्रथिमिकी दर्ज कर ली गयी है.
नाबालिग बच्चा फिलहाल चाइल्ड लाइन होशंगाबाद के पास है़ वहां से उसे गढ़वा लाने की कार्रवाई की जा रही है़ उसके यहां आने के बाद ही उसके वहां पहुंचने की पूरी स्थिति स्पष्ट हो पायेगी़ उल्लेखनीय है कि इस मामले में बच्चे की मां ने अपने परिचित सीताराम उरांव व गढ़वा के एक प्रसिद्ध चिकित्सक दंपती पर गायब करने का आरोप लगाया था़
महिला ने आरोप लगाया था कि उसके नाबालिग बच्चे को चिकित्सक ने अपने गढ़वा घर पर घरेलू काम के लिए 2500 रुपये प्रतिमाह का लालच देकर काम पर ले गये थे़ लेकिन उसके बाद उक्त चिकित्सक ने उसके बेटे को पटना में अपने (चिकित्सक) किसी रिश्तेदार के यहां काम करने के लिए भेज दिया. वहां भेजने के कुछ दिन बाद जब उसने चिकित्सक दंपती से अपने बेटे के बारे में पता करने गयी, तो वहां उसे बताया गया कि वह पटना स्थित उसके रिश्तेदार के यहां से कहीं गायब हो गया है.
महिला ने आरोप लगाया था कि उसने अपने बेटे को खोजने की मिन्नतें की, तो उसे चिकित्सक दंपती ने धमकी दी. तब से मई 2019 से उसे अपने बेटे के बारे में कुछ भी खबर नहीं मिली थी. इस मामले को लेकर महिला ने बाल कल्याण समिति को आवेदन दिया था, उसके बाद सीडब्ल्यूसी ने गढ़वा थाना को आवश्यक कार्रवाई के लिए निर्देश दिया था़
इधर इस मामले के संज्ञान में आने के बाद नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यर्थी की संस्था बचपन बचाओ आंदोलन की टीम ने भी गढ़वा एसपी को पत्र भेज कर उसे खोजने के लिए आग्रह किया था. काफी खोजबीन के बाद बचपन बचाओ आंदोलन की झारखंड टीम ने मध्यप्रदेश की टीम के साथ मिल कर 25 जनवरी की शाम को बच्चे को मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले के एक अन्नपूर्णा ढाबा से बरामद किया गया़
इसमें मध्यप्रदेश के होशंगाबाद की पुलिस ने भी सहयोग किया़ बताया गया कि उसे वहां पर बंधक बनाकर रखा गया था़ इस संबंध में बचपन बचाओ आंदोलन के मनीष शर्मा ने बताया कि बाल कल्याण समिति गढ़वा की संवेदनशीलता और उनकी टीम व मध्यप्रदेश पुलिस की प्रतिबद्धता से इस गणतंत्र दिवस के अवसर उक्त बच्चे को मुक्त कराया गया है़ उन्होंने बताया कि मुक्त कराये गये बच्चे ने उन्हें बताया है कि जबसे वह वहां काम कर रहा है, तब से उसे एक भी पैसा नहीं मिला है. उसे 3000 रुपये प्रतिमाह देने की बात कही गयी थी. उससे सुबह 4.30 बजे से रात 12 बजे तक उससे काम लिया जाता था.
Posted By : Sameer Oraon