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ज्यादातर मजदूरों का श्रम विभाग में निबंधन नहीं

ज्यादातर मजदूरों का श्रम विभाग में निबंधन नहीं

गढ़वा जिले के बेरोजगार युवाओं का रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में पलायन करना नियति रही है. बाहर के राज्यों में काम करनेवाले मजदूरों-बेरोजगारों के साथ किसी हादसे की स्थिति में सरकार ने उन्हें व परिजनों को राहत पहुंचाने के लिए कुछ नियम बनाये हैं. इसके लिए श्रम विभाग में मजदूरों के पंजीयन करने की व्यवस्था बनायी गयी है. ताकि किसी हादसे अथवा आपातकाल में उन्हें सहायता पहुंचायी जा सके. लेकिन दुर्भाग्यवश मजदूरों-बेरोजगारों की श्रम विभाग में निबंधन कराने में कोई दिलचस्पी नहीं रहती. ऐसा जानकारी के अभाव में व लापरवाही से भी होता है. एएसे में ये मजदूर मुसीबत में श्रम विभाग से सहायता लेने से वंचित हो जाते हैं. यही स्थिति रमना के सिरिया टोंगर के पांच मजदूरों की सड़क हादसे में मौत के बाद हुई है. अब संबंधित अधिकारी एवं मृतक के परिजन भी परेशान हैं.

मंत्री ने दिये हैं आपदा प्रबंधन का लाभ देने के निर्देश : गौरतलब है कि शुक्रवार को सिरिया टोंगर के मजदूरों के शव गढ़वा सदर अस्पताल पहुंचने के मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर घायलों को देखने व परिजनों से मिलने अस्पताल पहुंचे थे. उस दौरान उन्होंने डीसी को सभी मृतक के परिजनों को पारिवारिक लाभ की सहायता राशि एवं आपदा प्रबंधन से सहायता दिलाने का निर्देश दिया है. इसके आलोक में मृतक के सभी परिजनों को पारिवारिक लाभ के तहत 20-20 हजार रुपये की सहायता राशि तो प्रदान कर दी गयी. लेकिन आपदा प्रबंधन से लाभ दिलाने में तकनीकी समस्या आ रही है. दरअसल हादसे के शिकार किसी भी मजदूर ने बाहर जाने से पूर्व श्रम विभाग में अपना निबंधन नहीं कराया है.

सिर्फ 7373 मजदूरों का ही निबंधन : श्रम विभाग जिला कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार जिले में मात्र 7373 मजदूरों ने ही वहां निबंधन कराया है. इन मजदूरों को किसी भी तरह के आपदा की स्थिति में सरकारी नियमानुसार सभी सहायता प्रदान की जायेगी. लेकिन जिन मजदूरों का निबंधन नहीं है, उन्हें यह लाभ नहीं दिया जा सकता है. इसमें तकनीकी समस्या आयेगी. गौरतलब है कि हर महीने बाहर कमाने गये जिले के चार-पांच मजदूरों के विभिन्न कारणों से निधन की खबर आती है. लेकिन इसमें से ज्यादातर निबंधन के अभाव में श्रम कानूनों का लाभ नहीं ले पाते हैं.

करीब 50 हजार मजदूर करते हैं बाहर काम : एक आंकड़े के अनुसार गढ़वा जिले के कम से कम 50 हजार बेरोजगार युवक दूसरे राज्यों में विभिन्न निजी कंपनियों में काम करते हैं. इस बात को श्रम विभाग भी स्वीकार करता है. लेकिन दुखद स्थिति है कि इसमें से मात्र 15 प्रतिशत मजदूरों का ही उनके यहां निबंधन है. इससे मजदूर श्रम विभाग के कानूनों का लाभ नहीं ले पाते हैं. जबकि इसके लिए लगातार प्रचार-प्रसार किया जाता रहता है.

बेरोजगारों की पहली पसंद रहती हैं गुजरात के शहर

विभिन्न विभागों से मिली रिपोर्ट के मुताबिक जिले से रोजगार के लिये सर्वाधिक बेरोजगारों का झुकाव गुजरात होता है. वे गुजरात के विभिन्न शहरों में जाकर निर्माण कंपनियों में काम कर रहे हैं. इसके अलावे दक्षिण के राज्यों में तमिलनाडु, गोवा, केरल, कर्नाटक आदि राज्यों में भी यहां के अच्छी-खासी संख्या में युवा काम कर रहे हैं. पलायित होनवालों में अधिकांश युवा अनपढ़ अथवा कम पढ़े-लिखे होते हैं. इसलिये वे बाहर में मजदूरी, राजमिस्त्री, सरिया सेटरिंग, मुंशीगिरी आदि का काम करते हैं. जो युवा कुछ पढ़ाई किये हुये रहते हैं, वे अधिकांश चेन्नई, मुंबई, दिल्ली जैसे महानगरों में काम कर रहे हैं. जबकि खेतिहर मजदूरों में अधिकांश मध्य बिहार के जिले, यूपी, हरियाणा, पंजाब आदि राज्यों में खेतों में काम करते हैं. इसके कारण एक तो जहां जिले में हमेशा मजदूरों का अभाव झेलना पड़ता है, वहीं यहां के मजदूर दूसरे राज्यों में जाकर वहां मजदूर-मिस्त्री की आवश्यकता पूरा करते हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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