Jharkhand news, Garhwa news : गढ़वा (पीयूष तिवारी) : नई दिल्ली में निर्भया कांड के बाद महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से सामाजिक, घरेलू या किसी अन्य प्रकार की हिंसा से प्रभावित महिलाओं को सुविधा एवं संरक्षण देने के उद्देश्य से वन स्टॉप सेंटर की शुरुआत की गयी थी. गढ़वा जिले में वन स्टॉप सेंटर को काफी देर से तीसरे फेज में शुरू किया गया. पर्याप्त राशि उपलब्ध होने के बावजूद यह सेंटर संसाधनों एवं अव्यवस्था का दंश झेल रहा है. इसका लाभ महिलाओं को परिकल्पना के अनुरूप नहीं मिल पा रही है. गढ़वा जिले में वन स्टॉप सेंटर अभी कागजों पर ही संचालित हो रहा है.
लोगों में इस व्यवस्था की जानकारी का अभाव, सेंटर पर उचित इंफ्रास्ट्रक्टचर एवं कर्मियों का अभाव आदि समस्याएं इस पूरी व्यवस्था के उद्देश्य को असफल बना रही है. जुलाई 2019 से इसे गढ़वा जिले में शुरू किया गया है, तब से लेकर अक्टूबर 2020 तक करीब 16 महीने का समय बीतने के बाद भी यह सेंटर स्थायी रूप से काम करना शुरू नहीं किया है.
शुरुआत में एक साल से ज्यादा दिनों तक इसे सदर अस्पताल में संचालित किया गया, लेकिन आलम यह रहा कि आवंटित कमरों में झाड़ू लगानेवाला भी कोई नहीं था. इसके बाद 15 अक्टूबर, 2020 से इसे गढ़वा प्रखंड कार्यालय स्थित महिला आश्रय गृह में शिफ्ट किया गया है, लेकिन तब से लेकर अब तक एक भी महिला को आश्रय नहीं मिला है. महिला आश्रय गृह (Women’s shelter) के केयरटेकर को भी पूरी जानकारी नहीं है कि यहां वन स्टॉप सेंटर को शिफ्ट किया गया है. केयरटेकर रीना देवी ने बताया कि उसे बताया गया है कि यहां कुछ दिनों के लिए इसे चलाया जाना है, लेकिन यह कब शुरू होगा उसे इसकी पूरी जानकारी नहीं है.
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भवन में शिफ्ट किये जाने के अलावे यहां अन्य आधारभूत संरचना उपलब्ध नहीं करायी गयी है. यहां न तो इसके लिए एक भी केयरटेकर (नियमानुसार 24 घंटे के लिए) है और न ही रसोईया की व्यवस्था है. आनेवाली महिलाओं के लिए उपस्कर (कुर्सी, टेबल, अलमीरा आदि) एवं भोजन सामग्री की भी कोई व्यवस्था नहीं की गयी है. पर्याप्त प्रचार-प्रसार के अभाव में महिलाओं को इसके उद्देश्यों एवं संचालन के बारे में पता नहीं है.
वन स्टॉप सेंटर का अपना भवन बनाने के लिए सरकार की ओर से महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधीन समाज कल्याण विभाग को राशि भेजी गयी है. इसके बावजूद एक साल से ज्यादा समय बीतने पर भी भवन का निर्माण शुरू नहीं किया गया है. बताया गया कि इसके लिए आरईओ को भवन के लिए राशि आवंटित कर दी गयी है. पीपराकला में इसके लिए स्थल भी चयनित कर लिया गया है, लेकिन इसे शुरू नहीं किया गया है.
निर्भया कांड के बाद वन स्टॉप सेंटर की परिकल्पना की गयी थी. महिला को किसी भी तरह की हिंसा झेलने के बाद उसे तुरंत कई तरह की सहायता की जरूरत पड़ सकती है, जैसे मेडिकल सपोर्ट, कानूनी सहायता, अस्थायी रूप से रहने के लिए स्थान, मानसिक और भावनात्मक सहयोग, पुलिस सुरक्षा आदि. हिंसा झेलनेवाली महिला के लिए यह जरूरी हो जाता है कि उसे उपरोक्त सभी तरह का सहयोग एक स्थान पर मिल जाये और उसे अलग-अलग संस्थाओं के पास भटकना न पड़े. इसी परिकल्पना के तहत वन स्टॉप सेंटर की शुरुआत की गयी है, लेकिन गढ़वा जिले में अव्यवस्था एवं प्रशासनिक लापरवाही की वजह से महिलाओं को इस तरह का सहयोग नहीं मिल पा रहा है. इस तरह का सेंटर सभी जिले में एक-एक खोला जाना है.
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इस संबंध में जिला समाज कल्याण पदाधिकारी कमल कुमार सिंह ने बताया कि महिला आश्रय गृह में अभी इसे शिफ्ट किया गया है. वहां पानी, शौचालय आदि की सुविधा है. रसोईया आदि रखने के प्रयास किये जा रहे हैं. इसके बाद यहां शरण लेनेवाली महिलाओं को बाहर भोजन करने के लिए जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. उन्होंने कहा कि व्यवस्था में सुधार किया जा रहा है.
Posted By : Samir Ranjan.