स्थानीय सरस्वती विद्या मंदिर में सोमवार को दादा-दादी, नाना-नानी सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. समारोह का शुभारंभ अध्यक्ष जोखू प्रसाद, उपाध्यक्ष डाॅ धर्मचंदलाल अग्रवाल, कोषाध्यक्ष राजकुमार प्रसाद, सचिव रविप्रकाश, अभिभावक प्रतिनिधि चंदन कुमार, समिति की सदस्य शशिकला एवं प्रधानाचार्य रविकांत पाठक ने किया. इस अवसर पर प्रधानाचार्य रविकांत पाठक ने कहा कि दादा-दादी, नाना-नानी परिवार की रीढ़ होते हैं. अपने नाती-पोतियों से इनका बहुत लगाव होता है. वर्तमान परिवेश में अपने बच्चों द्वारा घर में दादा-दादी, नाना-नानी के सम्मान में वृद्धि हो, इसी उद्देश्य से ऐसे आयोजन प्रतिवर्ष किये जाते हैं. समारोह में डॉ धर्मचंद लाल अग्रवाल ने कहा कि ऐसे तो प्रथम गुरु माता-पिता ही होते हैं, लेकिन दादा-दादी, नाना-नानी बच्चों के प्रथम मित्र होते हैं. उनके दिये संस्कारों का नाती-नातिन व पोता-पोती अनुकरण करते हैं. दादी से कहानी, लोरी, गीत सुनते हैं. उनके साथ बच्चों को सुखद अनुभूति होती है. इस अवसर पर बच्चों ने गुरु वंदना की व विभिन्न प्रकार के भाव नृत्य प्रस्तुत किये. समारोह में उपस्थित सभी दादा-दादी, नाना-नानी का पैर धो कर अंग वस्त्र एवं उपहार भेंट किया गया. सभी शिक्षतों को भी वस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया गया. समारोह में संकुल संयोजक अरविंद सेंगर तथा गढ़वा जिला संघ चालक काशी महतो भी उपस्थित थे. उपस्थित लोग : समारोह में आचार्य कौशलेंद्र झा, नंदलाल पांडेय, सुधीर प्रसाद श्रीवास्तव, कृष्ण कुमार पाण्डेय, सतेंद्र प्रजापति, अविनाश कुमार, नीरज सिंह, सुजीत दुबे, अशोक कुमार, प्रसून कुमार, दिनेश कुमार, कृष्ण मुरारी, अंकित जैन, रूपेश कुमार, प्रदीप कुमार, आरती श्रीवास्तव, नीति कुमारी, रेणु पाठक, प्रियमवदा, सलोनी कुमारी व नेहा कुमारी सहित कई लोग उपस्थित थे.
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