कस्तूरबा विद्यालय में अभिभावकों का हंगामा, बेटियों को घर ले जाने की जिद
कस्तूरबा विद्यालय में अभिभावकों का हंगामा, बेटियों को घर ले जाने की जिद
बरडीहा प्रखंड मुख्यालय स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में शनिवार को अभिभावकों ने जमकर हंगामा किया. साथ ही अपनी-अपनी बच्चियों को घर ले जाने पर अड़े रहे. अभिभावकों का कहना है कि विद्यालय शिक्षा का मंदिर होता है, लेकिन इस विद्यालय की वार्डन अनैतिक काम कर रही हैं. यहां उनकी बच्चियां सुरक्षित नहीं हैं. अभिभावकों ने वार्डन कविता अम्मू पर सवाल उठाया और कहा कि उनके कारण छात्राएं परेशान व डरी हैं. कोई भी छात्रा इस विद्यालय में नही रहना चाहती है. जब तक विद्यालय की वार्डन को नही हटाया जायेगा, तब तक वे अपनी बच्चियों को यहां नहीं रहने देंगे. इधर हंगामे की खबर सुनकर थाना प्रभारी अवधेश कुमार यादव विद्यालय पहुंचे और अभिभावकों को छात्राओं की सुरक्षा का आश्वासन दिया. इसके बाद अभिभावक इस शर्त के साथ वहां से हटे कि वार्डन को तत्काल हटाया जाना चाहिए.
छात्राओं को रात में विद्यालय की चहारदीवारी क्यों फांदनी पड़ी
मामला 14अगस्त की रात साढ़े आठ बजे का बताया जा रहा है. कस्तूरबा गांधी विद्यालय की छात्राएं विद्यालय में राशन आपूर्ति करने वाले कलीम खान को वार्डन के साथ आपत्तिजनक हालत में देखा. इसके बाद विद्यालय की सभी छात्राएं आक्रोशित हो गयी. जब उन्होंने देखा कि विद्यालय का मेन गेट बंद है, तो वे उसी रात चहारदीवारी फांद गयी और थाना पहुंच कर थाना प्रभारी से वार्डन और कलीम खान की शिकायत की. इसके बाद थाना प्रभारी ने तत्काल विद्यालय जाकर कलीम खान को हिरासत में ले लिया और बाद में पूछताछ कर छोड़ दिया. जब अभिभावकों ने सुना कि कलीम खान को छोड़ दिया गया है, तो वे शनिवार को कस्तूरबा विद्यालय पहुंचे और जमकर हंगामा किया. देर शाम तक अभिभावक वहीं जमे रहे. बाद में थाना प्रभारी के आश्वासन पर वे घर गये.बोली छात्राएं : इस संबंध में विद्यालय की छात्राओं ने कहा कि उन्हें बताने में शर्म आ रही है. कलीम और वार्डन मैम जब ऑफिस में जाते हैं, तो खिड़की-दरवाजा बंद कर लेते हैं. वार्डन को कलीम अपने हाथ से खाना खिलाता है. इस घटना के बाद विद्यालय की छात्राएं काफी डरी-सहमी हैं. इसलिए वे खुलकर बोल भी नहीं पा रही थीं.
इधर इस पूरे मामले में वार्डन कविता अम्मू ने कहा कि छात्राओं का आरोप पूरी तरह गलत व निराधार है. दरअसल छात्राएं स्कूल परिसर से बाहर पास के मैदान में खेलने जाना चाहती हैं. पर विद्यालय के नियमानुसार उन्हें वह बाहर नहीं जाने देती हैं. इसी बात से छात्राएं आक्रोशित हैं.
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