जिले में मलेरिया उन्मूलन को लेकर किये गये कार्यों की अच्छी उपलब्धि रही है. इससे मलेरिया के मामले में लगातार कमी आ रही है. फिर भी मलेरिया के इक्के दुक्के मामले को भी नियंत्रित करने के लिए जन जागरूकता आवश्यक है. उक्त बातें सिविल सर्जन डॉ अशोक कुमार ने सदर अस्पताल परिसर स्थित सीएस कार्यालय के सभागार में बुधवार को विश्व मलेरिया दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित पत्रकार वार्ता में कही. मौके पर जिला महामारी विशेषज्ञ डॉ संतोष कुमार मिश्र एवं जिला मलेरिया सलाहकार अरविंद कुमार द्विवेदी भी उपस्थित थे.
सिविल सर्जन ने कहा कि गत तीन वर्षों के आंकड़े पर गौर करें, तो जिले में मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम की सफलता स्पष्ट दिखती है. जनवरी 2022 से मार्च तक 27,912 स्लाइड की जांच की गयी. इसमें 73 मलेरिया पॉजिटिव पाये गये थे. वहीं जनवरी 2023 से मार्च तक मलेरिया जांच के लिए लिये गये 35,730 स्लाइडों की जांच में 35 पॉजिटिव केस पाये गये. जबकि जनवरी 2024 से मार्च तक 52,129 स्लाइडों की जांच में सिर्फ 19 पॉजिटिव मामले सामने आये हैं. उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 के बाद मलेरिया से मृत्यु का आंकड़ा भी शून्य है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में वितरित मेडिकेटेड मच्छरदानी के प्रयोग के कारण भी मलेरिया के मामले कम हुए हैं.
मच्छरदानी का प्रयोग अवश्य करें : सीएस ने कहा कि लोगों को रात में विशेष रूप से मच्छर से बचाव करने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग अवश्य करना चाहिए. क्योंकि मलेरिया फैलाने वाली मादा एनोफिलीज मच्छर रात में ही काटती है. जबकि जलजमाव वाले स्थानों में मलेरिया के मच्छर पनपते हैं. ऐसे में अपने घरों के आसपास जलजमाव न होने दें. नालियों में केरोसिन या जले हुए मोबिल डालें. जबकि सप्ताह में एक दिन अपने घरों में कूलर, फ्रीज व एसी आदि साफ करें. बुखार हो जाये, तो स्वास्थ्य सहिया एवं एएनएम से संपर्क कर सरकारी अस्पतालों में इलाज करायें. जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में जांच एवं इलाज की निशुल्क सुविधा उपलब्ध है.
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