सूख गयी नदियां, खेतों की सिंचाई व मवेशियों के लिए जलसंकट
सूख गयी नदियां, खेतों की सिंचाई व मवेशियों के लिए जलसंकट
भीषण गर्मी के कारण सदाबह कही जानेवाली प्रखंड की कई नदियां पूरी तरह सूख गयी हैं. इस कारण तटीय गांवों में जहां जलसंकट है, वहीं पशु-पक्षियों के लिए भी पानी की समस्या हो गयी है. भवनाथपुर प्रखंड की नौ पंचायत में बहने वाली करीब आधा दर्जन नदियां पूरी तरह सूख चुकी हैं. सेल डैम से निकलकर कैलान व पंडरिया पंचायत के बीच से गुजरने वाले बनरझूला व झरिअवा नाले को छोड़कर सभी नदी-नाले सूख गये हैं. नदी-नाले के पूरी तरह सूखने से जंगली जानवरों के समक्ष पानी की गंभीर समस्या हो गयी है. शुक्रवार को पानी की तलाश में भटक कर आये एक हिरण की मौत हो गयी. जंगल में पानी की व्यवस्था न रहने से जंगली जानवर गांव में प्रवेश कर रहे हैं. इधर नदियों के सूख जाने से बालू माफिया भरपूर खनन कर रहे हैं. मकरी पंचायत के बढ़का खाड़ी नामक स्थान से बगही नदी की उत्पत्ति हुई है, जो मकरी पंचायत के बीच गांव से गुजर कर चपरी पंचायत के सिंघिताली गांव के किनारे से निकलकर खरौंधी प्रखंड के ढंढरा नदी में मिलती है. यह नदी पूरी तरह से सुख चुकी है. विदित हो कि इस नदी से बड़े पैमाने पर बालू खनन हो रहा है. मकरी पंचायत व अरसली दक्षिणी पंचायत के बीच में कडिया डैम के पास से निकलने वाली रजदहवा नदी बुका, भवनाथपुर, सिघिताली गांव होते हुए खरौंधी प्रखंड के ढंढरा नदी में मिलती है. यह भी पूरी तरह सुख गयी है. यह दोनों नदियां सदाबह हुआ करती थी. कैलान पंचायत के बीच जंगलों से गुजरने वाली नदियों में झोंक नदी है, वह भी पूरी तरह से सूख चुकी है. इस नदी से बड़े पैमाने पर बालू खनन हो रहा है. इसी पंचायत में पिआह नाला है, जो सूख गया है. अरसली उत्तरी पंचायत के जमुतियां जंगल से निकलकर वैषनाराज नदी जो झुमरी गांव होते हुए टाउनशिप रेलवे साइडिंग के बीच से होकर सेल डैम में मिलती है. इस नदी में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हुआ है. यह भी पूरी तरह से सूख चुकी है. इसी तरह से पंडरिया पंचायत में करमाही व फुलवार के बीच से गुजरने वाली बनरझूला व झरिअवा नदियां सेल डैम से होकर गुजरती है. इन दोनों नदियां को छोड़कर शेष सभी नदी का पानी सूख गया है. इधर ग्रामीणों की समस्या मवेशियों को पानी पिलाने को लेकर है.
मवेशियों को पानी पिलाना पड़ता है : झुमरी निवासी मनोज प्रजापति, बुका निवासी शिवपूजन राउत व रामजन्म राउत तथा मकरी निवासी बाला प्रसाद यादव ने बताया कि नदी के सूखने से नदी के किनारे के गांव पर सीधा असर पड़ा है. गांव में चापानल हो या बोर, सभी का जलस्तर नीचे जा रहा है. इसके अलावा पालतू पशुओं को भी पीने के पानी की समस्या उत्पन्न हो गयी है. नदी में पानी रहने से पशुओं को चरने के लिए खोलने पर वे नदी में पानी पी लिया करते थे. लेकिन अब पशुपालकों को अपने बोर से या चापानल से पानी लाकर मवेशियों को पानी पिलाना पड़ता है.
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