गढ़वा: संगीत कला महाविद्यालय में सुरों के सम्राट मोहम्मद रफी की 42वीं पुण्यतिथि मनायी गयी. महाविद्यालय के विद्यार्थियों एवं वरिष्ठ कलाकारों ने मोहम्मद रफी की तस्वीर पर दीप प्रज्ज्वलित कर व पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. इसके बाद विद्यार्थियों व कलाकारों ने गीतों के माध्यम से रफी को याद किया.
इस अवसर पर संगीत कला महाविद्यालय के निदेशक प्रमोद सोनी ने कहा कि मो रफी ने अपनी मखमली आवाज के जादू से धर्म, जाति और सरहद की दीवार तोड़ दी थी. राकेश चौबे ने कहा कि बचपन से रफी साहब की आवाज सुनता रहा हूं. आज भी जब उनकी आवाज कानों में सुनाई देती है, तो बचपन की यादें तरोताजा हो जाती है. गोपाल कश्यप ने कहा कि रफी साहब आज हर कला साधक के लिए प्रेरणास्रोत हैं. विजय प्रताप देव ने कहा कि आज संगीत की नींव मोहम्मद रफी के गीतों के बदौलत ही मजबूती के साथ टिकी हुई है.
इस अवसर पर सुनील कुमार, श्रवण कुमार, जनमेजय कुमार, साकेत तिवारी, रंजीत किशोर, प्रत्युष कुमार, व्यूटी कुमारी, आर्या सिंह, सीमा कुमारी, सुनिधि स्वरूप, गरिमा कुमारी, आरुणि कुमारी, कार्तिक सोनी, चाहत सोनी, केसव राज, कान्हा राज व हंस राज सहित अभिभावक व अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे.
कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ कलाकार गोपाल कश्यप ने दिल का सूना साज तराना ढूंढ़ेगा…, विजय प्रताप देव ने ओ दूर के मुसाफिर हमको भी साथ ले ले…, सुधांशु कुमार ने यही है तमन्ना तेरे घर के सामने मेरी जान जाये…,धर्मेंद्र कुमार ने लिखे जो खत तुझे…, छोटू कुमार ने ये रेशमी जुल्फे ये शरबती आंखें…, कृति कुमारी ने अकेले है चले आओ जहां हो… तथा मुझे तेरी मोहब्बत का सहारा मिल गया होता…बेखुदी में सनम उठ गये जो कदम…, प्रियंका कुमारी और आनंद कुमार ने सौ साल पहले मुझे तुमसे प्यार था…, परिधि गुप्ता और धर्मेंद्र कुमार ने आदमी मुसाफिर है आता है जाता है, आते जाते रस्ते में यादें छोड़ जाता है.., वैष्णवी कुमारी ऋतिक कुमार ने अभी ना जाओ छोड़ कर की दिल अभी भरा नही…, परिधि सिंधु और प्रीतम ने जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा…, छोटी बच्ची आराध्या और उन्नति ने जहां डाल डाल पर सोने की चिड़ियां करती है बसेरा…. तथा मास्टर रुद्र चौबे ने मधुबन में राधिका नाचे रे…जैसे गीतों से रफी की याद ताजा कर दी.