किसी तरह चल रहा आंगनबाड़ी केंद्र व बाल विकास परियोजना का काम
किसी तरह चल रहा आंगनबाड़ी केंद्र व बाल विकास परियोजना का काम
गढ़वा जिले के 1326 आंगनबाड़ी केंद्र, 2650 सेविका-सहायिका एवं करीब 50 हजार बच्चों को संभालने वाला समाज कल्याण विभाग बिना पदाधिकारी एवं कर्मी के चल रहा है. यहां समाज कल्याण पदाधिकारी, सीडीपीओ, पर्यवेक्षिका, प्रधान सहायक, निम्न व उच्चवर्गीय लिपिक, कंप्यूटर ऑपरेटर व आदेशपाल तक के पद रिक्त हैं. इस वजह से विभागीय कामकाज में काफी परेशानी हो रही है. न तो समय पर सेविका-सहायिकाओं को मानदेय का भुगतान हो पा रहा है, न पोषाहार का भुगतान और न ही आंगनबाड़ी केंद्रों का ससमय पर्यवेक्षण. दरअसल गढ़वा जिले में समाज कल्याण पदाधिकारी तथा नौ में से आठ बाल विकास परियोजना में सीडीपीओ का पद रिक्त है. गढ़वा समाज कल्याण पदाधिकारी का प्रभार जिले में सेवारत एकमात्र सीडीपीओ रंका को दिया गया है. जबकि शेष आठ परियोजना बीडीओ या सीओ के प्रभार में चल रही है. इसी तरह से जिले में सृजित 50 आंगनबाड़ी पर्यवेक्षिका के विरुद्ध मात्र 16 पर्यवेक्षिका ही सेवारत है. जबकि 34 पद रिक्त पड़े हुए हैं. यहां यह उल्लेखनीय है कि गढ़वा जिले में भले ही बाल विकास परियोजना की संख्या नौ है, लेकिन यहां प्रखंडों की संख्या 20 है. ऐसी स्थिति में परियोजना के हिसाब से कई प्रखंडों में एक भी पर्यवेक्षिका नहीं है. इस वजह से आंगनबाड़ी का सही तरीके से पर्यवेक्षण नहीं हो पा रहा है.
कर्मी, कंप्यूटर ऑपरेटर, आदेशपाल भी नहींजिला स्तरीय समाज कल्याण विभाग एवं सभी नौ बाल विकास परियोजना अभी भी पुराने ढर्रे पर चल रहे हैं. इन सभी विभागों को मिलाकर मात्र तीन ही कर्मी कार्यरत हैं. इसके अलावे जैसे-तैसे दूसरे विभागों से किसी कर्मी को अतिरिक्त प्रभार देकर काम चलाया जा रहा है. जो तीन कर्मी सेवारत हैं, उनमें जिला समाज कल्याण पदाधिकारी कार्यालय के प्रभात लकड़ा, बाल विकास परियोजना कार्यालय भवनाथपुर के मनोज कुमार तथा कांडी बाल विकास परियोजना कार्यालय के सुदीप परहिया शामिल हैं. जबकि समाज कल्याण विभाग एवं रंका परियोजना में एक-एक आदेशपाल सेवारत हैं. शेष स्थानों पर आदेशपाल का पद भी रिक्त है. जबकि कार्य सुविधा के हिसाब से प्रत्येक कार्यालय में कम से कम एक निम्नवर्गीय लिपिक, एक प्रधान सहायक, एक कंप्यूटर ऑपरेटर एवं एक आदेशपाल की आवश्यकता है.
गढ़वा जिले में बाल विकास परियोजना पदाधिकारी को नियमित पर्यवेक्षण का कार्य करना पड़ता है. लेकिन एक भी सीडीपीओ को वाहन उपलब्ध नहीं कराया गया है. जहां के बीडीओ या सीओ प्रभार में हैं, वे अपने संबंधित विभाग के वाहन से पर्यवेक्षण कार्य करते हैं. लेकिन विभाग को न तो वाहन उपलब्ध कराया गया है और न ही वाहन चालक.
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