गोवा में फंसे भवनाथपुर के मजदूरों ने राज्य सरकार से की वापस लाने की गुहार, कहा : नमक- रोटी खायेंगे, लेकिन अब बाहर कमाने नहीं जायेंगे

गोवा में फंसे भवनाथपुर प्रखंड अंतर्गत कोणमंडरा गांव के लोग हेमंत सरकार से झारखंड वापस लाने की गुहार लगा रहे हैं. इन मजदूरों को कहना है अब राज्य से बाहर कमाने नहीं जाने की सौगंध खा रहे हैं, चाहे उन्हें नमक- रोटी खाकर ही क्यों न गुजरा करना पड़े.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 18, 2020 5:37 PM
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गढवा : लॉकडाउन के कारण झारखंड से बाहर विभिन्न राज्यों में फंसे राज्य के प्रवासियों का वापस घर आना जारी है. वापस आते ही कोई अपनी जमीन को चूम रहा है, कोई अब बाहर नहीं जाने की कसम खा रहे हैं, तो कोई सुरक्षित वापस लाने पर राज्य सरकार का शुक्रिया भी अदा कर रहे हैं. यह सिलसिला लगातार जारी है. इसी कड़ी में गोवा में फंसे भवनाथपुर प्रखंड अंतर्गत कोणमंडरा गांव के लोग हेमंत सरकार से झारखंड वापस लाने की गुहार लगा रहे हैं. इन मजदूरों को कहना है अब राज्य से बाहर कमाने नहीं जाने की सौगंध खा रहे हैं, चाहे उन्हें नमक- रोटी खाकर ही क्यों न गुजरा करना पड़े.

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भवनाथपुर प्रखंड अंतर्गत कोणमंडरा गांव के दर्जनों मजदूर लॉकडाउन के कारण गोवा में फंसे हैं. घर कि आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए ये मजदूर गोवा कमाने गये. इसी बीच कोरोना की रोकथाम के लिए लॉकडाउन लागू हो गया. मजदूरों की माने, तो कुछ दिन तो किसी तरह कटा, लेकिन पानी के सिवाय और कुछ नहीं रहने से दिन काटना मुश्किल हो गया.

मजदूर आशुतोष उरांव, सुदामा सिंह, विकास सिंह व ललन वियार ने बताया कि सोचा था कि कुछ दिन बाद लॉकडाउन खत्म हो जायेगा, लेकिन अब चौथा चरण शुरू हो गया. हमलोग का सब्र का बांध टूट गया है. अब गोवा में नहीं रहना चाहते हैं. मजूदरों ने कहा कि अपने घर जायेंगे, नमक- रोटी खायेंगे, लेकिन अब कमाने बाहर नही जायेंगे.

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मजदूरों ने आरोप लगाया कि गोवा में जिस कंपनी में काम करते हैं, वहां जबरन बंधक बनाकर काम कराया जा रहा है. घर जाने के लिए पंजीकरण करवाया था, लेकिन कंपनी ने आधार नंबर लेकर हम सभी का पंजीकरण रद्द करवा दिया. कंपनी वाले जबरन काम करवाते हैं. नहीं करने पर खाना भी नहीं देते हैं. कंपनी के रवैये से तंग आकर पैदल ही घर के लिए निकल पडे थे, लेकिन रास्ते से लौटना पड़ा, क्योंकि गोवा पुलिस बॉर्डर पार नहीं होने दे रही है. सभी फंसे मजदूर राज्य सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.

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