राजकीयकृत प्लस टू उच्च विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापिका को स्कूली समय के बीच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने गिरफ्तार किया है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की मांग है कि घटना की सत्यता की जांच हो. अभाविप कांडी के नगर मंत्री प्रिंस कुमार सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह कहा. उन्होंने कहा कि विद्यालय में कुछ ऐसे शिक्षक हैं जिन्हें विद्यालय व छात्र हित से कोई लेना-देना नहीं है. वह दावे के साथ कह सकते हैं कि निष्पक्ष जांच से बड़ा खुलासा होगा. उन्हें जानकारी मिली है कि वोकेशनल एजुकेशन का पैसा पहले खर्च किया जाता है तब बीआरसी द्वारा बिल पास होता है. यही काम मैडम ने किया था. अपने पैसे से वोकेशनल टूर वगैरह कराया फिर चार या पांच वेंडर बनाया. इनमें से एक वेंडर धर्मेन्द्र रजक व्यवसायिक शिक्षक भी थे. इनके खाते में बीआरसी ने 56 हजार रु भेजे गये थे. उसी पैसे की मांग मैडम कर रही थी. धर्मेन्द्र रजक ने जो आवेदन एसीबी टीम को दिया है, वह आवेदन भी उनका तैयार किया नहीं है. यहां तक कि धर्मेन्द्र रजक का हस्ताक्षर भी सहयोगी षड्यंत्रकारियों ने ही कर दिया है. यह भी जांच का विषय है. इतना ही नहीं यदि पैसे रिश्वत के थे, तो छह अगस्त को भी धर्मेंद्र रजक ने उसी 56 हजार रुपए में से 10 हज़ार रु आरोपी प्रधानाध्यापिका को विद्यालय कर्मियों के सामने दिया है. साक्ष्य के तौर पर ऑफिस में लगे सीसीटीवी का फुटेज भी देखा जा सकता है. परिषद का स्पष्ट तौर पर मानना है कि इस प्रकार की घटना से विद्यालय परिसर की छवि और विद्यार्थियों के शैक्षणिक भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
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